Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Nov, 2023 10:13 AM
आज गोवत्स द्वादशी अर्थात बछवारस का पावन दिन है। यह त्यौहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली द्वादशी को मनाए जाने का विधान है। इस रोज पुत्रवती महिलाएं गाय व बछड़ों की पूजा करती हैं।
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Govatsa Dwadashi 2023: गोवत्स द्वादशी अर्थात बछवारस का पावन दिन 9 नवंबर गुरुवार को आ रहा है। इस रोज पुत्रवती महिलाएं गाय व बछड़ों की पूजा करती हैं।
कैसे करें पूजन
प्राचीनकाल में तो अधिकतर लोगों के घर में गौ पालन किया जाता था लेकिन आज के परिवेश में ऐसा संभव नहीं है इसलिए अपने घर में गाय व बछड़ा न होने पर जहां भी गाय व बछड़ा मिलें उनका पूजन करें। यदि कहीं भी न मिलें तो गीली मिट्टी से गाय, बछड़ा, बाघ और बाघिन को मूर्त रूप देकर पाटे पर स्थापित करके पूजन करें।
उनकी मूर्तों पर दही, भीगा हुआ बाजरा, आटा, घी आदि अर्पित करें। फिर रोली से तिलक करके उसके ऊपर चावल लगाएं अंत में दूध चढ़ाएं।
मोठ और बाजरे पर अपनी सामर्थ्य अनुसार धन रखकर अपनी सास को भेंट दें।
गोवत्स द्वादशी के दिन बासा भोजन खाया जाता है विशेषकर बाजरे की ठंडी रोटी।
गाय के दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त गेहूं और चावल भी नहीं खाएं।
अविवाहित बेटे की कमीज पर स्वस्तिक बनाएं। उसे वो कमीज पहनाकर कुएं पर ले जाएं फिर दोनों मिलकर कुएं का पूजन करें। यह पूजन आपके बेटे के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगा। बुरी बलाओं, भूत-प्रेत और नजर दोष से सदा उसकी रक्षा करेगा।