28 अक्तूबर हनुमान जयंती: मंगलवार को जन्मे मंगल ही करते मंगलमय हनुमान

Edited By ,Updated: 26 Oct, 2016 07:54 AM

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हनुमान जी का जीवन चरित एक आदर्श जीवन दर्शन है जिसका चिंतन, मनन, श्रवण करने से लोक-परलोक सुधर जाता है। रामदूत

हनुमान जी का जीवन चरित एक आदर्श जीवन दर्शन है जिसका चिंतन, मनन, श्रवण करने से लोक-परलोक सुधर जाता है। रामदूत हनुमान जी की उपासना जीवन में सफलता प्राप्त करने की कुंजी है।


हनुमान जी को सभी देवताओं का वरदान प्राप्त है। ब्रह्मा जी ने इन्हें वरदान दिया था कि मेरे ब्रह्मास्त्र, ब्रह्मदंड, ब्रह्मपाश तथा अन्य अस्त्र भी इस बालक को कोई भी नुक्सान नहीं पहुंचा सकेंगे। विष्णु जी ने उन्हें अत्यंत निर्भय और ब्रह्मा जी ने चिरंजीवी कहा है। शिव भोले भंडारी ने कहा कि जब मेरे तीसरे नेत्र से उत्पन्न अग्रि सभी शत्रुगण को भस्म कर देगी वह अग्रि भी इस बालक का अनिष्ट नहीं कर पाएगी, मेरे अमोघ शूल आदि अस्त्र-शस्त्र भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। देवराज इंद्र ने वर दिया प्राणी मात्र के आधार स्वरूप पवन देव, मैं आपके पुत्र को वर देता हूं कि आज से मेरा अमोघ वज्र भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। पवन पुत्र का शरीर वज्र के समान होगा। 


यम ने वरदान दिया कि पवन पुत्र पर मेरे काल दंड का भी भय नहीं रहेगा। कुबेर ने वरदान दिया कि पवन पुत्र द्वारा असुरों का विनाश होगा। वरुण ने इन्हें वरदान दिया कि वह मेरे समान शक्तिशाली होगा। भयंकर से भयंकर युद्ध में भी किसी प्रकार की इसे थकावट का अनुभव नहीं होगा।


आज जहां भी कहीं राम कथा होती है वहां पवन पुत्र हनुमान जी सशरीर उपस्थित रहते हैं। श्री हनुमान जी राम कथा से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। संसार की ऐसी कोई भी इच्छा या पदार्थ नहीं जिसकी पूर्ति यह अखंड ब्रह्मचारी न कर सकें। इसके लिए बस आवश्यकता है पूर्व आस्था एवं भक्ति व नियम पालन की।

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