Edited By ,Updated: 24 Mar, 2016 11:12 AM
होली यानी रंगों का त्यौहार भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है। इसे होली, होलिका या धुलेंडी भी कहा जाता है। बसंत ऋतु और फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने
होली यानी रंगों का त्यौहार भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है। इसे होली, होलिका या धुलेंडी भी कहा जाता है। बसंत ऋतु और फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह त्यौहार पारम्परिक रूप से एक नहीं बल्कि दो दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है जिसे कहते हैं होलिका दहन और दूसरे दिन को धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है। इस दिन लोग एक -दूसरे पर रंग और गुलाल फैंकते हैं, ढोल बजाकर होली से जुड़े गीत गाते, भांग, ठंडाई और पकौड़े खाते हैं।
भांग-ठंडाई की रेसिपी
होली के दिन भांग की ठंडाई पी जाती है। ठंडाई पीकर लोग नाचते-गाते हैं। वैसे तो आपको बाजार से भांग का चूर्ण मिल जाएगा जिसे मेवे और दूध में मिक्स करके आप ठंडाई बना सकते हैं। अगर आप इसे घर पर खुद तैयार करना चाहती हैं तो इस तरह से बनाएं:
सामग्री
500 ग्राम दूध
डेढ़ कप चीनी या शक्कर
15-20 बादाम
आधा चम्मच खरबूजे के बीज
आधा चम्मच खसखस
2 चम्मच सौंफ
1/2 चम्मच इलायची पाऊडर,
1 चम्मच गुलाब जल,
2 छोटे चम्मच भांग का चूर्ण
1 चम्मच काली मिर्च
4-5 केसर के लच्छे
2 छिले हुए संतरे
100 ग्राम अंगूर।
1/4 कप सूखी गुलाब की पंखुडिय़ां
विधि :
चीनी को पानी में भिगो कर किनारे रख दें। फिर सभी मेवा सामग्री को मिक्स करके 3-4 घंटे के लिए भिगोकर रखें और बाद में इसे मिक्सी में बारीक पीस लें। भांग का चूर्ण भी उसी में मिक्स कर लें। सामग्री को मलमल के कपड़े मेेें अच्छी तरह से निचोड़ कर एक बर्तन में गिराएं। उसी बर्तन में दूध, चीनी वाला पानी, गुलाब जल, अंगूर और संतरे मसलते हुए ठंडाई तैयार कर लें। ऊपर से गुलाब की पंखुडिय़ां डाल कर फ्रिज में ठंडा करने के बाद सर्व करें। याद रहे कि भांग की मात्रा सीमित हो।
- वंदना डालिया