Edited By ,Updated: 03 Jun, 2016 10:32 AM
सूर्यपुत्र की आराधना का महापर्व है शनि जयंती। शनिवार के दिन शनि जयंती से इस पर्व का महत्व एवं फल अनंत गुणा हो जाता है। ज्ञान, बुद्धि एवं प्रगति के
सूर्यपुत्र की आराधना का महापर्व है शनि जयंती। शनिवार के दिन शनि जयंती से इस पर्व का महत्व एवं फल अनंत गुणा हो जाता है। ज्ञान, बुद्धि एवं प्रगति के स्वामी गुरु का भी शनि के नक्षत्र में होने से इस वर्ष का शनि जन्मोत्सव दिवस आलस्य, कष्ट, विलंब, पीड़ानाशक होकर भाग्योदय कारक बनाने के लिए दुर्लभ अवसर है।
जानिए, कैसे मनाएं शनि जयंती पर्व?
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शनि जयंती 4 जून 2016, शनिवार को दोपहर 1 बजे शनि-मंगल, वृश्चिक राशि और शनि ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में होंगे, वहीं मंगल विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण में रहेंगे जबकि देवगुरु वृहस्पति, राहु के साथ सिंह राशि और पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र के तृतीय चरण में रहेंंगे।
4 जून, 2016 (शनिवार) के दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाएगी। इस दिन कृतिका नक्षत्र (यह सूर्य का नक्षत्र है) और वृषभ राशि का चंद्रमा रहेगा। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है।
ध्यान या सावधानी रखें
शनिदेव का जन्म दोपहर के समय हुआ था, अतः शनि जयंती 4 जून को मनाना ही शास्त्र सम्मत होगा। भारत में अनेक स्थानों पर उदय तिथि के (पंचांग) अनुसार पर्व संपन्न होता है तो 5 जून रविवार को भी शनि जयंती मनाई जा सकती है।
4 जून को वट सावित्री पूजन का पर्व भी मनाया जाएगा क्योंकि अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दिन शनि देव की विशेष पूजा का विधान है।
पंडित विशाल दयानन्द शास्त्री
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