शरद पूर्णिमा पर प्रेम का वंशीनाद हो: ज्ञानानंद

Edited By ,Updated: 14 Oct, 2016 02:53 PM

sharad purnima

त्यौहार परंपरा भारत की एक समृद्ध परंपरा है और इसी त्यौहार परंपरा में शरद पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है जो आध्यात्मिक आस्था के साथ-साथ प्रकृति के साथ भी जीने की प्रेरणा देता है। शरद पूर्णिमा के निकट आते ही अनेकों श्रद्धालुओं के मन में पावन श्री कृष्ण कृपा...

त्यौहार परंपरा भारत की एक समृद्ध परंपरा है और इसी त्यौहार परंपरा में शरद पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है जो आध्यात्मिक आस्था के साथ-साथ प्रकृति के साथ भी जीने की प्रेरणा देता है। शरद पूर्णिमा के निकट आते ही अनेकों श्रद्धालुओं के मन में पावन श्री कृष्ण कृपा धाम वृंदावन के वार्षिकोत्सव को लेकर तरंगें शुरू हो जाती हैं। गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सान्निध्य में संचालित श्री कृष्ण कृपा धाम वृंदावन का वार्षिकोत्सव प्रतिवर्ष सत्संग, सेवा, सुमिरन की प्रेरणा के रूप में श्रद्धाभाव से आयोजित किया जाता है


16 अक्तूबर को समापन अवसर पर महाप्रसाद का आयोजन होगा। श्री कृष्ण कृपा धाम वृंदावन में जहां आध्यात्मिक प्रेरणाएं श्रद्धालुओं को दी जाती हैं वहीं दूसरी ओर सेवाओं के लिए भी यह एक प्रमुख स्थान बना हुआ है। श्री धाम में आयुर्वैदिक, होम्योपैथिक व एलोपैथिक चिकित्सा के साथ मरीजों का उपचार किया जाता है और इसी के साथ धाम में एक नेत्र चिकित्सालय, गौ चिकित्सालय भी कार्य कर रहा है। श्री धाम में स्वामी ज्ञानानंद के सान्निध्य में नि:शुल्क राशन सेवा, संत सेवा और गौ सेवा विशेष रूप से जारी है। 


स्वामी जी का कहना है कि शरद पूर्णिमा के दिन ब्रज में भगवान श्री कृष्ण द्वारा जो वंशीनाद हुआ, वह वास्तव में समूचे वातावरण के लिए प्रेम और सद्भावना का ही आह्वान था। आज पूरे विश्व की सर्वोपरि आवश्यकता यह प्रेम और सद्भाव ही है। स्वामी जी ने कहा कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है और इसी कारण इस रात्रि में चंद्रमा द्वारा पोषित खाद्य सामग्री में ऐसे अमृत रस का संचार होता है जो शारीरिक रोगों की  निवृत्ति तथा मानसिक शांति के लिए अत्यंत उपयोगी भूमिका निभाता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम प्रकृति के इस तत्व और महत्व को समझें।


वर्तमान के बनावटी, सजावटी व दिखावटी प्रभाव के समय में यह और भी अधिक आवश्यक हो गया है कि हम प्रकृति से दूर न हों। प्रकृति का सम्मान करें और प्रकृति के साथ जीएं। शरद पूर्णिमा उत्सव मौसम की दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसी समय में महीनों की गर्मी की तपन शीतलता के वातावरण में परिवर्तित होती है। वस्तुत: शरद पूर्णिमा उष्णता से शीतलता का प्रवेश द्वार माना जाता है। बाहरी मौसम की दृष्टि से भी और आंतरिक तनाव, दबाव और दुर्भाव को समाप्त करके शांति-प्रेम और सद्भाव की शीतलता अनुभव करने के लिए भी। इस वार्षिकोत्सव में स्वामी ज्ञानानंद के मार्गदर्शन में कार्य कर रही अंतर्राष्ट्रीय संस्था ‘जीओ गीता’ की भी गूंज विशेष रूप से होगी। 


स्वामी ज्ञानानंद के सान्निध्य में ‘जीओ गीता’ द्वारा देश-विदेश में श्रीमद् भागवत गीता का जन-जन तक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि हर क्षेत्र की व्यावहारिकता और प्रदूषण की तपन को शीतलता में परिवर्तित करने का अचूक साधन है श्रीमद् भागवत गीता। उन्होंने आह्वान किया कि शरद पूर्णिमा के पावन उत्सव पर प्रेम का वंशीनाद हो और घर-घर गीता की गूंज हो।      
 

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