Edited By ,Updated: 26 Oct, 2015 01:12 PM
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं,'पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।'
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं,'पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।'
अर्थात रसस्वरूप अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं। (गीताः15.13)
वैज्ञानिक भी मानते हैं की शरद पूर्णिमा की रात स्वास्थ्य व सकारात्मकता देने वाली मानी जाती है क्योंकि चंद्रमा धरती के बहुत समीप होता है। आज की रात चन्द्रमा की किरणों में खास तरह के लवण व विटामिन आ जाते हैं। पृथ्वी के पास होने पर इसकी किरणें सीधे जब खाद्य पदार्थों पर पड़ती हैं तो उनकी क्वालिटी में बढ़ौतरी हो जाती है।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा सोलह कलाओं से संपन्न होकर अमृत वर्षा करता है इसलिए इस रात में खीर को खुले आसमान में रखा जाता है और सुबह उसे प्रसाद मानकर खाया जाता है। माना जाता है की इससे रोग मुक्ति होती है और उम्र लंबी होती है।
शरद पूर्णिमा को देसी गाय के दूध में दशमूल क्वाथ, सौंठ, काली मिर्च, वासा, अर्जुन की छाल चूर्ण, तालिश पत्र चूर्ण, वंशलोचन, बड़ी इलायची पिप्पली इन सबको आवश्यक मात्रा में मिश्री मिलाकर पकाएं और खीर बना लेंI खीर में ऊपर से शहद और तुलसी पत्र मिला दें, अब इस खीर को तांबे के साफ बर्तन में रात भर पूर्णिमा की चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे ऊपर से जालीनुमा ढक्कन से ढक कर छोड़ दें और अपने घर की छत पर बैठ कर चंद्रमा को अर्घ देकर,अब इस खीर को रात्रि जागरण कर रहे दमे के रोगी को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे प्रातः) सेवन कराएं I
इससे रोगी को सांस और कफ दोष के कारण होने वाली तकलीफों में काफी लाभ मिलता है I रात्रि जागरण के महत्व के कारण ही इसे जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है , इसका एक कारण रात्रि में स्वाभाविक कफ के प्रकोप को जागरण से कम करना हैI इस खीर को मधुमेह से पीड़ित रोगी भी ले सकते हैं, बस इसमें मिश्री की जगह प्राकृतिक स्वीटनर स्टीविया की पत्तियों को मिला दें I
उक्त खीर को स्वस्थ व्यक्ति भी सेवन कर सकते हैं ,बल्कि इस पूरे महीने मात्रा अनुसार सेवन करने साइनोसाईटीस जैसे उर्ध्वजत्रुगत (ई.एन.टी.) से सम्बंधित समस्याओं में भी लाभ मिलता हैI कई आयुर्वेदिक चिकित्सक शरद पूर्णिमा की रात दमे के रोगियों को रात्रि जागरण के साथ कर्णवेधन भी करते हैं, जो वैज्ञानिक रूप सांस के अवरोध को दूर करता हैI तो बस शरद पूर्णिमा को पूनम की चांदनी का सेहत के परिप्रेक्ष्य में पूरा लाभ उठाएं बस ध्यान रहे दिन में सोने को अपथ्य माना गया है।