हवाई यात्रा करने से पहले बरते ये सावधानियां

Edited By ,Updated: 16 Feb, 2015 01:55 AM

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जब से हवाई यातायात सेवा शुरू हुई है, तब से विदेशों तथा देशों में घूमना सबसे सरल हो गया है। ये सुविधा आज के युग में सबसे सरल जरिया बन गई है।

नई दिल्ली. जब से हवाई यातायात सेवा शुरू हुई है, तब से विदेशों तथा देशों में घूमना सबसे सरल हो गया है। हवाई यात्रा  सुविधा आज के युग में यातायात का सबसे सरल जरिया बन गई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. ए. मार्तण्ड पिल्ले ने बताया कि बहुत सारे हवाई यात्री ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सांस संबंधी बीमारियां या दिल की बीमारियां होती हैं तो उन्हें हवाई जहाज में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे लोगों को सुरक्षित यात्रा करने से पहले डॉक्टरों की सलाह जरूर लेनी चाहिए। वहीं, यात्रा के समय डॉक्टरों द्वारा बताई गई बातों पर जरूर अमल करना चाहिए। 
 
हवाई यात्रा से पहले ये जाने जरूर
हवाई जहाज के केबिन में पूरा दबाव होता है, बावजूद इसके बेहद ऊंचाई पर पहुंचने की स्थिति में फेफड़े की बीमारी से पीडि़त मरीजों को ऑक्सीजन की कमी महसूस हो सकती है।
अगर व्यक्ति को गंभीर बीमारी है और एसपीओ2 का स्तर 95 फीसदी से अधिक है तो बेहतर है उसका 6 मिनट का वॉक टेस्ट किया जाए।
अगर एसपीओ-2 92 फीसदी से कम है तब व्यक्ति को फ्लाइट के अंदर सप्लीमेंटल ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी।
अगर एसपीओ-2 92 और 95 फीसदी के बीच है, तब रिस्क फैक्टर्स को देखें। अगर कोई रिस्क फैक्टर नहीं है तो उन्हें क्लीयरेंस दे दें। 
अगर मरीज रूम एयर में ऑक्सीजन पर है तो फ्लाइट में ऑक्सीजन फ्लो मूल स्तर से 1 से 2 एल/मिनट बढ़ा दें।
सप्लीमेंटल ऑक्सीजन अप्रूव्ड पोर्टेबल ऑक्सीजन कनिस्तर या ऑक्सीजन कन्संट्रेटर से दिया जा सकता है।
ऐसे मरीज जो हाई रिस्क में आते हैं, उन्हें जहाज में सप्लीमेंटल ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है।
ऐसे मरीजों की जांच पल्स ऑग्जीमीटर द्वारा आराम के दौरान और कमरे ब्रीदिंग रूम एयर में की जानी चाहिए।
अगर एसपीओ या ब्लड ऑक्सीजन का स्तर 95 फीसदी से अधिक है तो मरीज को क्लीयरेंस दे दें।
 

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