‘मेड इन इंडिया’ का मजाक उड़ा रही चाइनीज साइकिल

Edited By Supreet Kaur,Updated: 17 Apr, 2018 09:41 AM

chinese bicycle making fun of india

प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया के सपने को साकार बनाने में केंद्र सरकार ‘मेड इन इंडिया’ को ही दरकिनार करती प्रतीत हो रही है। इसका प्रमाण स्मार्ट सिटी के अंतर्गत पुणे, कोयम्बटूर, मैसूर व भोपाल शहरों में अंतर्राष्ट्रीय तर्ज पर लागू हुई पब्लिक बाइक...

लुधियाना (संदीप): प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया के सपने को साकार बनाने में केंद्र सरकार ‘मेड इन इंडिया’ को ही दरकिनार करती प्रतीत हो रही है। इसका प्रमाण स्मार्ट सिटी के अंतर्गत पुणे, कोयम्बटूर, मैसूर व भोपाल शहरों में अंतर्राष्ट्रीय तर्ज पर लागू हुई पब्लिक बाइक शेयरिंग (पी.बी.एस.) प्रणाली में ओफो व मो-बाइक जैसे आप्रेटरों द्वारा भारतीय साइकिलों को छोड़कर चाइनीज साइकिलों को सप्लाई किया जाना है।

सोमवार को एवन साइकिल परिसर में ऑल इंडिया साइकिल मैन्यूफैक्चरर एसो., यूनाइटिड साइकिल एंड पार्ट्स मैन्यूफैक्चरर एसो., जी-13 बाईसाइकिल फोरम, फैडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीयल एंड कमर्शियल आर्गेनाइजेशन के प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से की गई प्रैस कान्फ्रैंस के दौरान प्रवक्ताओं ने पी.बी.एस. प्रणाली में चीन की सस्ती साइकिलों की डम्पिंग से ‘भारतीय साइकिल उद्योग को बचाओ’ की बात कही है। उद्यमियों ने कहा कि जनहित की तर्ज पर पी.बी.एस. प्रणाली में न केवल भारतीय साइकिलों की सप्लाई को अनिवार्य बनाया जाए, बल्कि इस प्रणाली के तहत साइकिल की इम्पोर्ट ड्यूटी 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत की जाए।

प्रैस कान्फ्रैंस में देश की प्रमुख साइकिल कम्पनियों हीरो, एवन, एटलस, एस.के., हीरो इकोटैक, नोवा व नीलम साइकिल आदि के प्रतिनिधियों ने स्वीकारा कि केंद्र व राज्य सरकारों में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने डी.आई.पी.पी. सर्कुुलर पी-45021/02/2017-बी.ई. 2 नोटीफिकेशन तो जारी की लेकिन इसे सही ढंग से लागू ने करवाए जाने से भारतीय मैन्यूफैक्चरर को घातक परिणाम झेलने पड़ रहे हैं। स्मार्ट सिटी प्रणाली के तहत राज्य सरकारों का पी.बी.एस. आप्रेटर्स को भारतीय साइकिल मैन्यूफैक्चरर को छोडक़र चाइनीज सस्ती साइकिलों की अनुमति भी इसी का परिणाम है।

ये हैं मांगें
-पी.बी.एस. प्रणाली में इंडियन साइकिल की सप्लाई।
-इस प्रणाली के लिए साइकिल्स की इम्पोर्ट ड्यूटी 30 से बढ़ाकर 60 प्रतिशत हो। 
-उपभोक्ताओं का डाटा सरकार के साथ सांझा हो।
-रोड सेफ्टी कमेटी के निर्देशानुसार साइकिल पर 10 रिफ्लैक्टर्स लगाना हो अनिवार्य।
-फिक्सड पार्किंग हो अनिवार्य।

इंडस्ट्रीज पर क्या होगा इम्पोर्ट
-पी.बी.एस. प्रणाली के तहत अगले 3 वर्ष में लगभग 20 लाख साइकिलों की होगी सप्लाई।
-3 वर्षों में हो सकती है 4 लाख साइकिलों की मांग प्रभावित।
-4000 एम.एस.एम.ई. इकाईयों पर होगा असर।
-10 लाख वर्क फोर्स होगी प्रभावित।
-6000 करोड़ की साइकिल इंडस्ट्रीज होगी प्रभावित।

क्या कहती है इंडस्ट्रीज
भारतीय साइकिल इंडस्ट्री पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रणाली के हक में है। ऐसी प्रणाली का जनता व कंज्यूमर को लाभ होगा। साइकिल इंडस्ट्रीज की मांग है कि मैट्रो रेल प्रोजैक्ट्स की तर्ज पर साइकिल इंडस्ट्रीज के हित में भी प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रावधान बनाए जाएं।

क्या है पी.बी.एस. प्रणाली
पब्लिक बाइक शेयरिंग (पी.बी.एस.) प्रणाली शेयरिंग के आधार पर साइकिल का इस्तेमाल करना है। टैक्नोलॉजी बेस प्रणाली स्मार्ट फोन में एप के माध्यम से साइकिल को किराए पर लेकर एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है। सफर पूरा होने के बाद साइकिल को कहीं भी पार्क कर छोड़ सकते हैं, वहीं किराए का भुगतान भी ऑनलाइन ही होगा।

कहां-कहां हो चुके हैं टैंडर
-पी.बी.एस. प्रणाली के तहत पुणे, कोयम्बटूर, भोपाल व मैसूर में इस ट्रायल के तहत 10,000 चाइनीज साइकिल्स सप्लाई हो चुकी हैं।
-जबलपुर, नागपुर, रायपुर व अन्य शहरों के टैंडर तो आ गए हैं लेकिन अभी किसी भी कम्पनी को अलॉट नहीं हुआ।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!