मंदसौर मंडी में कृषि उपजों की आवक बढ़ोत्तरी के बाद भी घट रही आय

Edited By vaqar,Updated: 27 May, 2018 05:46 PM

earnings falling after the inward increases of agricultural produce

मध्य प्रदेश की प्रमुख मन्दसौर की कृषि उपज मंडी में विभिन्न कृषि उपजों की आवक बढने के बावजूद मंडी की आय पिछले साल से निरंतर कम हो रही है

मन्दसौर : मध्य प्रदेश की प्रमुख मन्दसौर की कृषि उपज मंडी में विभिन्न कृषि उपजों की आवक बढने के बावजूद मंडी की आय पिछले साल से निरंतर कम हो रही है। मन्दसौर की कृषि उपज मंडी के सचिव ओ पी शर्मा ने बताया कि मन्दसौर मंडी को वित्त वर्ष 2016-17 में 38 करोड़ रुपये की आय हुई थी, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यही आय घटकर 29 करोड़ रुपये रह गई। इस वित्त वर्ष के अप्रैल में भी केवल करीब दो करोड़ रुपये की आय हुई है, जो बताता है कि मंडी में विभिन्न कृषि उपजों की आवक बढने के बावजूद मंडी की आय निरंतर कम हो रही है। उन्होंने कहा, 'मंडी की आय में कमी का कारण पिछले वर्षों की तुलना मे विभिन्न कृषि उपज के भावों में कमी है। शर्मा ने बताया ​कि इन दिनों में कृषि उपज मंडी मन्दसौर में विभिन्न कृषि उपजों की आवक पिछले दो सालों के मुकाबले काफी बढ़ी है, लेकिन मंडी की आय कम हुई है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न कृषि उपजों की करीब 60,000 से 65,000 बोरी की आवक हो रही है। इस मंडी में प्रतिदिन किसानों को उनकी उपज बेचने के एवज में करीब 5 से 7 करोड़ रुपये का भुगतान हो रहा है। लेकिन विभिन्न कृषि उपज की आवक बढ़ने के बावजूद मंडी की आय कम हो रही है। मन्दसौर की मंडी ऐसी मंडी है, जहां व्यापारियों द्वारा किसानों को उनकी उपज का चेक से भुगतान पूर्णतः प्रतिबंधित है। किसानों को 50,000 रुपये तक की राशि का नकद भुगतान होता है तथा इससे अधिक राशि होने पर नेफ्ट या आरटीजीएस द्वारा भुगतान होता है।

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इसी बीच, मंडी इंस्पेक्टर समीर दास ने बताया कि 84 बीघा क्षेत्र में फैली मन्दसौर की आदर्श मंडी में विभिन्न कृषि उपज की नीलामी के लिये 16 प्लेटफार्म हैं। इन दिनों मंडी में कोई 65,000 बोरी विभिन्न प्रकार की कृषि उपज की आवक प्रदेश के उज्जैन, भोपाल, आष्टा, गुना, बीना, राजगढ़, ब्यावरा, रतलाम के अलावा राजस्थान के कोटा, प्रतापगढ़ आदि जिलों से हो रही है। दास ने बताया कि प्रतिदिन लहसुन व प्याज के मन्दसौर मंडी से करीब 150 से 200 ट्रक देश के कर्नाटक, ओड़िशा, असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुवाहाटी, कोलकाता, पंजाब, गुजरात आदि प्रदेशों को जा रहे हैं। दामों की यह स्थति इसलिये भी है कि उत्पादन अधिक और खपत कम है।

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