जारी है किसानों पर सियासत, मंदसौर में दिखी एक और नज़ीर

Edited By Prashar,Updated: 06 Jun, 2018 06:24 PM

poltics on dead farmer in mandsaur

मध्य प्रदेश के मंदसौर में 6 जून 2017 को हुए गोलीकांड को कोई नहीं भूल पाया है। आज इस त्रासदी को हुए एक साल हो गया। लेकिन, उन छह किसानों के परिवारों के जख्म आज भी हरे हैं, जो बेवजह काल का ग्रास बने थे। वह छह तो अपनी मांगों को मनवाने के लिए और अपना हक...

भोपाल : मध्य प्रदेश के मंदसौर में 6 जून 2017 को हुए गोलीकांड को कोई नहीं भूल पाया है। आज इस त्रासदी को हुए एक साल हो गया। लेकिन, उन छह किसानों के परिवारों के जख्म आज भी हरे हैं, जो बेवजह काल का ग्रास बने थे। वह छह तो अपनी मांगों को मनवाने के लिए और अपना हक पाने के लए सड़कों पर उतरे थे लेकिन सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते उन्हें बेमौत मरना पड़ा था।

किसानों की मौत या राजनीतिक अड्डा
हर सरकार कहती है कि वह किसानों के साथ खड़ी है। लेकिन सवाल ये है कि अगर सरकार किसानों के हक में सोचती है तो किसान आंदोलन और आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर जुबानी हमले कर रहा है। बीजेपी कहती है कि कांग्रेस किसानों को भड़का रही है और कांग्रेस कहती है कि केंद्र में बीजेपी सरकार है जिसकी किसानों विरोधी नीतियों के चलते किसान आंदोलन कर रहा है और दुखी होकर आत्महत्या कर रहा है। आज राहुल मंदसौर में इस प्रथा को एक बार फिर कायम कर गए। कुल मिलाकर देखा जाए तो किसान एक रोटी बनाने वाला तवा बन गया है जिसका पर सियासी रोटियां सेकी जा रहीं है।

राहुल का मंदसौर दौरा
राहुल छह जून को मंदसौर में रहे यहां उन्होंने किसानों को ढाल बनाकर राज्य सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई। राहुल ने यहां तक कह दिया कि अगर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो सरकार बनने के 10 दिन तक राज्य का हर किसान कर्ज मुक्त होगा। मतलब साफ है कि पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर हमले कर और किसानों को ढाल बनाकर अपना पलड़ा भारी करने में लगा हुआ है।

एक साल बाद भी नहीं मानी गई किसानों की मांगे
भले ही मंदसौर गोली कांड को आज एक साल हो गया लेकिन किसानों की मांगे आज भी पूरी नहीं है। सरकार की वादाखिलाफी का आलम यह है कि किसान आज भी अपनी मांगों को लेकर मध्यप्रदेश में आंदोलन के लिए मजबूर है। किसानों का 10 दिवसीय आंदोलन एक बार फिर जारी है जो एक जून से शुरू हुआ है और 10 जून तक चलेगा।

मंदसौर फायरिंग में मारा गया था नाबालिग
6 जून 2017 को मंदसौर में हुई पुलिस फायरिंग में मारे गए किसानों की श्रद्धांजलि सभा में मृतकों के परिजन पहुंचे। इस दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए 17 साल के अभिषेक की मां ने कहा कि अभिषेक वहां पर किसान आंदोलन में देखने के लिए गया था। लेकिन, पुलिस फायरिंग में उसकी मौत हो गई। मां का कहना है कि भागते वक्त उसे पुलिस की दूसरी लगी जिसकी वजह से उसने दम तोड़ा था। अभिषेक का मां कहना है कि अभिषेक के लिए सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि सरकार किसानों की मांगों को मान ले।

फायरिंग में मारे गए छह लोग

उस दिन पुलिस फायरिंग में पांच लोग मारे गए थे और एक को पुलिसवालों ने पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया था। मृतकों के नाम हैं...

  • अभिषेक
  • सत्यनारायण
  • घनश्याम
  • बबलू उर्फ पूनमचंद
  • कन्हैया लाल


मंदसौर में आखिर हुआ क्या था ?
6 जून 2017 को किसानों ने कर्जमाफी और फसलों के उचित दाम को लेकर राज्य में जगह-जगह 10 जून तक आंदोलन किया था। इसी बीच 6 जून को मंदसौर में पुलिस फायरिंग से पाच किसानों की मौत हो गई। जबकि एक किसान की मौत पुलिस द्वारा पीटे जाने के बाद हुई। इस घटना को बुधवार को एक साल पूरे हो चुका है। जिसको लेकर किसानों ने मंदसौर गोलीकांड का बरसी मनाई।

क्या थी किसानों का मांगें ?
किसानों की सिर्फ एक ही मुख्य मांग है। स्वामीनाथन सिफारिशें लागू करना।

क्या है स्वामीनाथन की सिफारिशें ?
स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को अगर लागू कर दिया जाए तो किसानों का भाग्य बदल जाएगा। कमेटी की मुख्य सिफारिशों में सबसे पहले तो किसानों को बेहतर क्वालिटी के बीज वो भी कम दामों में उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ ही किसानों की मदद के लिए गांवों में विलेट नॉलेज सेंटर बनाए जाएं। किसानों को फसल बीमा की सुविधा देशभर में मिले और हर फसल के लिए मिले। इसके अलावा अगर कोई किसान खेती करने के लिए कर्ज लेना चाहे तो जरूरतमंद तक कर्ज की व्यवस्था को पहुंचाया जाए। इस कमेटी ने यह भी कहा कि किसान महिलाओं को क्रेडिट कार्ड दिए जाएं और साथ ही किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड भी बनाया जाए। कृषि जोखिम फंड का इस्तेमाल उस वक्त हो जब प्राकृतिक आपदाओं में किसानों की सारी मेहनत बेकार जाती है और वो निराश होकर आत्महत्या की तरफ खुद को धकेलने लगते हैं।

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