इस बार आसान नहीं होगी शिवराज की CM की कुर्सी तक पहुंचने की राह !

Edited By ASHISH KUMAR,Updated: 26 May, 2018 08:37 AM

this time mama will not be easy to reach the chair of chief minister

मध्यप्रदेश में नवंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं, लगातार चौथी बार जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सियासी बिसात पर शुरुआती चालें चलकर अपने अनुरूप माहौल बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में भी चुनावी...

भोपाल : मध्यप्रदेश में नवंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं, लगातार चौथी बार जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सियासी बिसात पर शुरुआती चालें चलकर अपने अनुरूप माहौल बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में भी चुनावी रणनीति को लेकर सियासत शुरु हो गई है। राज्य में इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं माना जा रहा है जबकि लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले कांग्रेस के सामने अपनी साख बचाने का यह शायद अंतिम मौका है। हालांकि अबकी बार शिवराज सरकार के सामने किसान गोलीकांड, महिला अपराध, भ्रष्टाचार जैसे मुदृदों से पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है वहीं बीजेपी में अंदरखाने चल रही खींचतान ने भी केंद्रीय नेतृत्व के मा​थे पर पसीना लाने का काम किया है।
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राकेश सिंह की ​स्वीकार्यता
राजनीतिक विश्लेषकों मानना है कि, "भाजपा ने अध्यक्ष बदलकर और चुनाव प्रबंध समिति बनाकर विपक्ष के खिलाफ प्रारंभिक कदम तो बढ़ा दिया है अब सवाल यह उठता है कि भाजपा के स्थापित नेता नए प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह उर्फ घनश्याम सिंह को कितना स्वीकार करते हैं। हालांकि राकेश सिंह ने जिस तरह से कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य बनाया है उससे यह फिलहाल अंदर खाने चल रही खींचतान पर लगाम जरूर लगी है फिर भी स्थापित नेताओं के छिटकने से पार्टी को होने वाले नुकसान पर खतरा बना हुआ है।"

महाकौशल तक सिमटी पहचान
भाजपा ने पहला स्ट्रोक नया प्रदेशाध्यक्ष बदलकर मारा है। पार्टी ने अध्यक्ष की कमान सांसद राकेश सिंह को सौंपी है, जो जमीनी राजनीति करते हुए सांसद बने हैं। प्रदेश की राजनीति में उनका किसी से मतभेद नहीं है और ना ही उनकी पहचान किसी खास गुट से रही है। हालांकि महाकौशल क्षेत्र के बाहर उनकी बड़े नेता के तौर पर पहचान नहीं है। इतना जरूर है कि वे पहले कभी प्रहलाद पटेल और उमा भारती के नजदीकी हुआ करते थे। यही एक बड़ा कारण उनके सर्वमान्य होने का भी है।

चुनाव समिति बनाने पर मारी बाजी
प्रदेश अध्यक्ष के अलावा भाजपा ने चुनाव प्रबंध समिति का गठन में भी बाजी मारी है। बीजेपी ने पहले तो लचर और कमजोर साबित हो रहे अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान को हटाकर राकेश सिंह को कमान सौंपी है, वहीं दूसरा बड़ा कदम चुनाव प्रबंध समिति का गठने के रूप में उठाया। इस समिति का संयोजक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नजदीकी माने जाने वाले और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बना दिया गया। राकेश सिंह भी तोमर के नजदीकियों में से एक हैं। भाजपा में हुए बदलाव से इतना तो साफ हो गया है कि उसने गंभीरता से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। 
 

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