Edited By PTI News Agency,Updated: 09 Apr, 2020 04:40 PM
मुंबई, नौ अप्रैल (भाषा) रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताते हुए कहा कि हाल के मौद्रिक और वित्तीय उपायों से स्थिति कोरोना वायरस से घरेलू मांग पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव को सीमित करने में मदद मिलेगी और जैसे ही स्थिति सामान्य होती है आर्थिक...
मुंबई, नौ अप्रैल (भाषा) रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताते हुए कहा कि हाल के मौद्रिक और वित्तीय उपायों से स्थिति कोरोना वायरस से घरेलू मांग पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव को सीमित करने में मदद मिलेगी और जैसे ही स्थिति सामान्य होती है आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी।
दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) और उसका आर्थिक गतिविधियों पर पड़ रहे प्रभाव के बीच आरबीआई ने यह बात कही है।
रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस की महामारी के बाद दुनिया भर में ‘लॉकडाउन’ से वैश्विक परिदृश्य कमजोर होगा और इसका असर वृद्धि परिदृश्य पर पड़ेगा। केंद्रीय बैंक ने इसके आधार पर कहा कि इस समय वृद्धि के बारे में अनुमान जताना मुश्किल है।
आरबीआई ने कहा कि 2019-20 के दौरान रबी फसल अच्छी होने और खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी को देखते हुए ग्रामीण मांग को सुदृढ़ होने के लिये अनुकूल माहौल है। उसने यह भी कहा कि नीतिगत दर में कटौती के बाद उसका लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के मामले में सुधार दिख रहा है।
केंद्रीय बैंक के अनुसार इसके अलावा कर दरों में कटौती तथा बुनियादी ढांचा व्यय बढ़ाने के उपायों का मकसद घरेलू मांग को गति देना था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण यह परिदृश्य बदल गया है।’’ कोरोना वायरस संक्रमण के बाद के जो अनुमान मिल रहे हैं, उससे 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने का खतरा दिख रहा है।
आरबीआई ने आगे कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में नरमी अगर बनी रहती है तो इससे देश की व्यापार स्थिति बेहतर हो सकती है। लेकिन इससे होने वाला लाभ इतना नहीं है जिससे देश्व्यापी बंद तथा बाह्य मांग से होने वाले नुकसान की भरपाई हो।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कोरोना वायरस और उसके बाद लॉकडाउन से 2020 में वैóश्विक उत्पादन में गिरावट की आशंका है। इसका वृद्धि परिदृश्य पर प्रतिकूल असर पड़ा है। परिस्थिति में बदलाव इस बात पर निर्भर करेगा कि कितनी तेजी से महामारी को काबू में किया जाता है और कितनी जल्दी आर्थिक गतिविधियां सामान्य होती हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘आरबीआई के नकदी बढ़ाने को लेकर उठाये गये कदमों तथा सरकार के राजकोषीय प्रोत्साहन उपायों से घरेलू मांग पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी तथा स्थिति सामान्य होने पर आर्थिक गतिविधियों को गति देने में सहायता मिलेगी।’’
रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति अनुमान को लेकर इस समय जोखिम संतुलित जान पड़ता है और अस्थायी परिदृश्य अपेक्षाकृत नरम रहने का अनुमान है। ‘‘लेकिन कोरोना वायरस का असर आने वाले समय में दिखने की आशंका बनी हुई है।’’
आरबीआई ने कहा कि वह इस समय जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि का अनुमान नहीं देगा क्योंकि स्थिति अभी सामान्य नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोराना वायरस का मुद्रास्फीति पर प्रभाव फिलहाल अस्पष्ट है। खाद्य वस्तुओं के दाम में संभावित गिरावट का असर गैर-खाद्य वस्तुओं में लागत वृद्धि के कारण समाप्त हो सकता है। आपूति गड़बड़ाने से इस समय गैर-खाद्य वस्तुओं की वृद्धि का असर कम होगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।