आधे से ज्यादा निवेशक मानते हैं कि चार बड़े आडिटर की साख नहीं रह गई है: सर्वेक्षण

Edited By PTI News Agency,Updated: 20 May, 2020 07:10 PM

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मुंबई, 20 मई (भाषा) कंपनियों के खातों का आडिट करने वालों के प्रति लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है। एक निवेशक सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 57 प्रतिशत निवेशकों और विक्रेता पक्ष के विश्लेषकों ने कहा कि उनका चार सबसे बड़ी आडिट फर्मों पर विश्वास...

मुंबई, 20 मई (भाषा) कंपनियों के खातों का आडिट करने वालों के प्रति लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है। एक निवेशक सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 57 प्रतिशत निवेशकों और विक्रेता पक्ष के विश्लेषकों ने कहा कि उनका चार सबसे बड़ी आडिट फर्मों पर विश्वास नहीं है, वह अपनी साख गंवा चुके हैं।
इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस सर्वे) द्वारा किये गये सर्वेक्षण के मुताबिक बड़े निवेशकों और विक्रेता पक्ष के विश्लेषकों में दोनों तरफ से 57 प्रतिशत का मानना है कि चारो बड़ी आडिट कंपनियां निवेशकों के साथ अपनी साख खो चुकी हैं ।इनका मानना है कि यदि इन आडिट कंपनियों पर रोक लगती है तो वह उन्हें छोड़कर आगे निकलने को तैयार है।

आईआईएएस में 63 बड़े निवेशक और बिक्री पक्ष के 89 विश्लेषक शामिल हैं। इनके बीच आईआईएएस ने 13 से 21 अप्रैल के बीच सर्वे किया।
टिप्पणी और बिना टिप्पणी की आडिट रपट के बारे में 73 प्रतिशत ने टिप्पणी वाली रपट को भरोसे मंद मानाक्योंकि उनका मानना है कि इस तरह के खातों में उन्हें कम से कम आडिटर की चिंताओं के बारे में जानकारी तो मिलती है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि जनवरी 2009 में सत्यम कंप्यूटर घोटाला सामने आने के बाद से आडिटरों की दुनिया विशेषतौर से चार बड़े आडीटर लगातार नियामक संस्थाओं के गुस्से का सामना कर रहे हैं।
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने जहां 2018 में प्राइसवाटर हाउसकूपर्स (पीडब्ल्यूसी) पर सूचीबद्ध कंपनियों के खातों की लेखापरीक्षा करने पर दो साल के लिये रोक लगा दी वहीं प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने इस रोक को खारिज कर दिया, जिसे सेबी ने आगे चुनौती दे दी।
रिजर्व बैंक ने जून 2019 में ईवाई से संबंद्ध एसआर बाटलीबाय एण्ड कंपनी पर वाणिज्यिक बैंकों का सांविधिक आडिट करने पर एक साल की रोक लगा दी। यस बैंक के खातों में उसे कई तरह की खामियां मिलने के बाद यह रोक लगाई गई।
आईएलएण्उ एफएस मामले में गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय ने डेलायट हैस्किंस एण्ड सेल्स और बीएसआर एण्डएसोसियेट्स (केएमपीजी नेटवर्क के हिस्से) पर आईएलएण्डएफएस की वित्तीय स्थिति की सही तस्वीर पेश नहीं करने का आरोप लगाया। धोखाधड़ी कार्यालय इन आडिट कंपनियों पर रोक लगाने के बारे में विचार कर रहा है। हालांकि उन्हें तभी दिल्ली उच्च न्यायालय से कुछ राहत मिल गई।
इसी प्रकार सीजी पावर धोखाधड़ी मामले में एनसीएलटी ने वैश्य एसोसियेट्स द्वारा तेयार रिपोर्ट को फेंक दिया था। एनसीएलटी ने रिपोर्ट के गैर-पेशेवर बताते हुये कहा कि इसमें कई किंतु परंतु हैं।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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