Edited By PTI News Agency,Updated: 21 May, 2020 09:31 PM
मुंबई, 21 मई (भाषा) पूर्व ऊर्जा मंत्री सुरेश प्रभु ने बृहस्पतिवार को कहा कि वितरण कंपनियों की यह जिम्मेदारी है कि वे उत्पादक कंपनियों के बकाये का भुगतान करें और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए।
मुंबई, 21 मई (भाषा) पूर्व ऊर्जा मंत्री सुरेश प्रभु ने बृहस्पतिवार को कहा कि वितरण कंपनियों की यह जिम्मेदारी है कि वे उत्पादक कंपनियों के बकाये का भुगतान करें और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए।
फिलहाल वितरण कंपनियों के ऊपर बिजली उत्पादक कंपनियों का 92,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। इससे बिजली उद्योग पर असर पड़ रहा है।
जी-20 और जी-7 में भारत के शेरपा प्रभु ने कहा, ‘‘वर्ष 2000 तक बिजली का नियंत्रण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास था। हालांकि, समय के साथ निजी क्षेत्र से बड़े पैमाने पर निवेश से स्थिति बदली है।’’
‘काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर’ (सीईईडब्ल्यू) द्वारा आयोजित ‘ऑनलाइन’ सेमिनार में उन्होंने कहा, ‘अगर इन बिजली उत्पादकों को उनके निवेश पर रिटर्न नहीं मिलता है, वे बिजली का उत्पादन नहीं करेंगे। हम बजली उद्योग के साथ बिजली उत्पादकों को दिवालिया नहीं होने दे सकते।’’
प्रभु ने कहा कि सरकार के स्वमित्व वाली उत्पादक कंपनियां बिजली उत्पादन करती रह सकती हैं क्योंकि उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों से समर्थन प्राप्त है लेकिन निजी कंपनियों के साथ ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘निजी क्षेत्र के निवेश से भारत बिजली के मामले में अधिशेष देश बना है। ऐसे में यह वितरण कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे बकाये का भुगतान करें। हमारा यह रुख नहीं हो सकता कि हम बिजली तो खरीदेंगे लेकिन उसका भुगतान नहीं करेंगे। मुझे लगता है कि राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उत्पादक कंपनियों के बकाये का भुगतान हो।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में पीएफसी (पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन) और आरईसी के जरिये वितरण कंपनियों के लिये 90,000 करोड़ रुपये की कर्ज सुविधा की घोषणा की ताकि वे बिजली उत्पादक कंपनियों और पारेषण कंपनियों के बकाये का भुगतान कर दें।
प्रभु ने कहा कि राज्य और केंद्रीय विद्युत नियामकों को बिजली उत्पादकों का लाभ और नकद प्रवाह सुनिश्चित करने के लिये जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
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