विशेषज्ञ ने कहा, मानूसन में कोझिकोड हवाईअड्डे पर विमान उतारने की इजाजत नहीं दे डीजीसीए

Edited By PTI News Agency,Updated: 08 Aug, 2020 09:33 PM

pti maharashtra story

मुंबई/चेन्नई आठ अगस्त (भाषा) विमानन क्षेत्र के एक सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन ने शनिवार को कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को मानसून के दौरान कोझिकोड हवाईअड्डे के रनवे पर उड़ाने उतारने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

मुंबई/चेन्नई आठ अगस्त (भाषा) विमानन क्षेत्र के एक सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन ने शनिवार को कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को मानसून के दौरान कोझिकोड हवाईअड्डे के रनवे पर उड़ाने उतारने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
उनका यह बयान शुक्रवार को कोझिकोड हवाईअड्डे पर एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान के दुघर्टनाग्रस्त होने के बाद आया है।

रंगनाथन ने करीब नौ साल पहले 2011 में ही चेताया था कि कोझिकोड हवाईअड्डे के रनवे-10 पर बारिश में उतरते विमान की दिशा में बहती हवा की स्थिति में यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती है।
दुबई से आया बोइंग 737-800 विमान भारी बारिश में रनवे-10 से फिसल गया और दो खंड हो गया। इस हादसे में दो पायलटों सहित कम से कम 18 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। विमान में कुल 190 लोग सवार थे।
रंगनाथन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जब आपको पता नहीं है और कोई हादसा होता है और लोगों की जान जाती है, तो यह दुर्घटना है। लेकिन यदि आपको खतरे की जानकारी है और आपको उसके बारे में आगाह किया गया है, ऐसे में दुघर्टना में यदि जान जाती है तो यह निश्चित रूप से हत्या है।’’
कैप्टन मोहन रंगनाथन ने जून, 2011 में तत्कालीन नागर विमानन सचिव नसीम जैदी को पत्र लिखकर इस हवाई पट्टी को लेकर अपनी चिंता जताई थी। रंगनाथन उस समय नागर विमानन सुरक्षा सलाहकार समिति (सीएएसएसी) में परिचालन समूह के सदस्य थे।
उन्होंने शनिवार को कहा कि डीजीसीए को कोझिकोड हवाई अड्डे के लिए सही रनवे संहिता लागू करनी चाहिए। ‘‘वहां 737 या 320 से बड़े विमान को उतरने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। मानसून के दौरान रनवे-10 पर विमान उतारने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि कि डीजीसीए को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी एयरलाइंस मानूसन से पहले एप्रोच एंड लैंडिंग एक्सिडेंट रिडक्शन (एएलएआर) यानी विमान उतरते समय दुर्घटना रोकने के प्रशिक्षण को पूरा करें।
रंगनाथन ने 2011 में लिखे पत्र में कहा था, ‘‘यदि खतरे के बावजूद पायलट बारिश और अनुकूल हवा की स्थिति में विमान उतारने को तैयार होते हैं, तो एएलएआर यानी विमान उतरते समय दुर्घटना रोकने को लेकर उनकी समझ काफी कमजोर है।’’
मेंगलूर हवाईअड्डे पर 2010 में एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद रंगनाथन ने यह पत्र लिखा था। इस हादसे में 158 लोग मारे गए थे।
रंगनाथन ने लिखा था, ‘‘रनवे-10 पर बारिश में अनुकूल हवा की स्थिति में उतरने वाली उड़ानें यात्रियों की जान खतरे में डालने वाली हैं।’’ ऐसी परिस्थिति में उतरते समय विमान का कोण या दिशा प्रभावित हो सकती है।

रंगनाथन ने कहा,‘‘नौ साल पहले उन्हें चेताया गया था, लेकिन उन्होंने हवाईअड्डे को सुरक्षित घोषित कर दिया और परिचालन जारी रखा।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें उनकी रिपोर्ट पर कोई जवाब मिला है, रंगनाथन ने कहा कि उन्हें इस पर कोई जवाब नहीं मिला है।
केरल का कोझिकोड हवाईअड्डा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अंतर्गत आता है। इस हवाईअड्डे पर टेबलटॉप हवाई पट्टी है।
कुछ हलकों से इस तरह के दावों कि शुक्रवार को संभवत: एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान का लैंडिंग गियर खुला नहीं था, रंगनाथन ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया। रंगनाथन ने कहा, ‘‘यदि ऐसा होता तो विमान रनवे पर रुक जाता। 737 का डिजाइन ऐसा है कि यदि लैंडिंग गियर चालू नहीं होता है, तो यह इसका इंजन जमीन को छुएगा। ऐसे में जो इंजन से जो घंर्षण होता, उससे विमान रुक जाएगा।’’


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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