शक्ति मिल्स सामूहिक बलात्कार मामला: तीन दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील

Edited By PTI News Agency,Updated: 25 Nov, 2021 03:28 PM

pti maharashtra story

मुंबई, 25 नवंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मध्य मुंबई स्थित शक्ति मिल्स परिसर में 22 वर्षीय एक फोटो पत्रकार के सामूहिक बलात्कार के मामले के तीन दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वे ‘‘उनके द्वारा...

मुंबई, 25 नवंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मध्य मुंबई स्थित शक्ति मिल्स परिसर में 22 वर्षीय एक फोटो पत्रकार के सामूहिक बलात्कार के मामले के तीन दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वे ‘‘उनके द्वारा किए गए अपराधों का पश्चाताप करने के लिए आजीवन कारावास की सजा के लायक हैं।’’
न्यायमूर्ति साधना जाधव और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने विजय जाधव, मोहम्मद कासिम शेख उर्फ कासिम बंगाली और मोहम्मद अंसारी को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि करने से इनकार कर दिया और उनकी सजा को उनके शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास में बदल दिया।

बहरहाल, उसने कहा कि दोषी पैरोल या फरलो के हकदार नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें समाज में आत्मसात किए जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती और सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है।

2013 में हुई सामूहिक बलात्कार की इस घटना के समय विजय जाधव की आयु 19 वर्ष, कासिम शेख की आयु 21 वर्ष और अंसारी की आयु 28 वर्ष थी।

पीठ ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस अपराध ने समाज की सामूहिक अंतरात्मा को झकझोर दिया है और बलात्कार मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
अदालत ने कहा, ‘‘बलात्कार पीड़िता केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ता झेलती है। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है, लेकिन केवल लोगों के गुस्से पर ही ध्यान नहीं दिया जा सकता। निर्णय लोगों की नाराजगी या लोगों की राय के आधार पर नहीं लिए जाने चाहिए।’’
उसने कहा कि मामलों पर निष्पक्षता से विचार करना अदालतों का कर्तव्य है और वे कानून के तहत तय की गई प्रक्रिया को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं।

पीठ ने कहा, ‘‘मृत्यु पश्चाताप की अवधारणा को समाप्त कर देती है। यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपियों को केवल मौत की सजा ही दी जानी चाहिए। वे उनके द्वारा किए गए अपराध का पश्चाताप करने के लिए आजीवन कारावास की सजा भुगतने के लायक हैं।’’
उसने कहा, ‘‘दोषियों को उनके शेष जीवन के लिए आजीवन कारावाज की सजा दी जानी चाहिए। उन्हें समाज में आत्मसात नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे महिलाओं को एक वस्तु समझते हैं।’’
अदालत ने कवि खलील जिब्रान की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘और उन लोगों को कैसे दंड दोगे, जिनका पश्चाताप उनके कुकर्मों से पहले से ही बड़ा है? क्या पश्चाताप भी वही न्याय नहीं है, जो उस कानून द्वारा दिया जाता है, जिसका आप खुशी से पालन करेंगे? इसके बावजूद आप निर्दोष को ग्लानि से नहीं भर सकते औैर ना ही दोषी के मन से इसे निकाल सकते हैं।’’
दोषियों की ओर से पेश हुए वकील युग चौधरी ने तर्क दिया था कि मौत की सजा अनुचित है, क्योंकि सुनवाई निष्पक्ष तरीके से नहीं हुई थी। राज्य सरकार ने कहा था कि मौत की सजा सुनाया जाना उचित है, क्योंकि यह आदेश इस प्रकार के अपराधों को रोकने में मदद करेगा।

निचली अदालत ने बंद पड़े शक्ति मिल्स परिसर में फोटो पत्रकार के साथ 22 अगस्त, 2013 को सामूहिक बलात्कार किए जाने के मामले में मार्च, 2014 में चार लोगों को दोषी ठहराया था। अदालत ने विजय जाधव, बंगाली और अंसारी को मौत की सजा सुनाई थी, क्योंकि इन तीनों को फोटो पत्रकार के साथ बलात्कार से कुछ महीनों पहले इसी स्थान पर 19 वर्षीय एक टेलीफोन ऑपरेटर के सामूहिक बलात्कार के मामले में भी दोषी ठहराया गया था। इन तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ई) के तहत मौत की सजा सुनाई गई।

मामले के चौथे दोषी सिराज खान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और एक नाबालिग आरोपी को सुधार केंद्र भेज दिया गया था।

विजय जाधव, बंगाली और अंसारी ने अप्रैल 2014 में उच्च न्यायालय में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ई) की वैधता को चुनौती दी थी और दावा किया था कि सत्र अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाकर अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर कदम उठाया।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!