आरबीआई गवर्नर ने कहा, मुद्रास्फीति की लगातार ऊंची दर प्रमुख चिंता का कारण: एमपीसी बैठक ब्योरा

Edited By PTI News Agency,Updated: 22 Jun, 2022 09:12 PM

pti maharashtra story

मुंबई, 22 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास समेत मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सभी छह सदस्यों ने लगातार बनी हुई उच्च मुद्रास्फीति पर चिंता जताई है और जोर देकर कहा कि केंद्रीय बैंक का प्रयास तय सीमा के भीतर कीमतों...

मुंबई, 22 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास समेत मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सभी छह सदस्यों ने लगातार बनी हुई उच्च मुद्रास्फीति पर चिंता जताई है और जोर देकर कहा कि केंद्रीय बैंक का प्रयास तय सीमा के भीतर कीमतों में वृद्धि को कम करना है।
केंद्रीय बैंक के बुधवार को जारी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के ब्योरे से यह जानकारी मिली।

आरबीआई की नीतिगत दर तय करने वाली समिति ने बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस महीने की शुरूआत में प्रमुख नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि के पक्ष में मतदान किया था। यह पिछले पांच सप्ताह में दूसरी वृद्धि थी। इससे पहले मई में भी रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
तीन दिवसीय बैठक के ब्योरे के अनुसार, गवर्नर ने कहा कि महंगाई की ऊंची दर चिंता का कारण बनी हुई है। लेकिन आर्थिक गतिविधियों में पुनरूद्धार जारी है और इसमें गति आ रही है। मुद्रास्फीति से प्रभावी तरीके से निपटने के लिये यह समय नीतिगत दर में एक और वृद्धि के लिये उपयुक्त है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसी के अनुसार, मैं रेपो दर में 0.50 प्रतिशत वृद्धि के पक्ष में मतदान करूंगा। यह उभरती मुद्रास्फीति-वृद्धि की स्थिति के अनुरूप है और प्रतिकूल आपूर्ति समस्याओं के प्रभावों को कम करने में मदद करेगा।’’
दास ने कहा कि रेपो दर में वृद्धि मूल्य स्थिरता के प्रति आरबीआई की प्रतिबद्धता को मजबूत करेगी। केंद्रीय बैंक के लिये प्राथमिक लक्ष्य महंगाई को काबू में रखना है। यह मध्यम अवधि में सतत वृद्धि के लिये एक पूर्व शर्त है।

रेपो दर को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत करने के साथ रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति अनुमान को भी संशोधित कर 6.7 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 5.7 प्रतिशत का था।
इसके अलावा एमपीसी के सदस्य और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा कि वैश्विक मुद्रास्फीति संकट हाल के इतिहास में सबसे गंभीर खाद्य और ऊर्जा संकटों में से एक है जो अब दुनिया भर में सबसे कमजोर लोगों के लिए खतरा है।

उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच आपूर्ति श्रृंखला में बाधा के कारण मुद्रास्फीति बढ़ी है। आपूर्ति श्रृंखला की स्थिति से निपटने के लिए मौद्रिक नीति का इस्तेमाल किया गया और इससे निपटने का कोई अन्य विकल्प नहीं है।
आरबीआई के कार्यकारी निदेशक और समिति के सदस्य राजीव रंजन ने कहा कि लंबे समय तक भू-राजनीतिक संकट और संघर्ष का कोई जल्द समाधान नहीं होने के कारण अनिश्चितताओं के बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ रही है।
समिति के स्वतंत्र सदस्य शशांक भिड़े ने कहा कि मार्च 2022 के बाद से जो मुद्रास्फीति का दबाव तेज हो गया है, वह वित्त वर्ष 2022-23 में चिंता का विषय बना रहेगा। यह स्थिति तब तक बनी रहेगी, जब तक अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति की स्थिति में तेजी से सुधार नहीं होता है।

वहीं, रेपो दर को 4.9 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए मतदान करते हुए एमपीसी की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि आगे के निर्णय आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के परिणामों पर निर्भर करेंगे।
इसके अलावा अन्य सदस्य जयंत आर वर्मा ने मई की एमपीसी की बैठक में रेपो दर में बहुत जल्द एक प्रतिशत की वृद्धि का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता थी कि रेपो दर में 0.60 प्रतिशत की वृद्धि की जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मैंने समान कारणों से 0.50 प्रतिशत अंकों के बहुमत के दृष्टिकोण के साथ जाने का फैसला किया है।’’

मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक अब दो से चार अगस्त, 2022 के बीच होगी।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!