परेशान, चिंतित मनुष्य के लिए उनके दुख-दर्द का श्रेष्ठ सहारा...

Edited By ,Updated: 13 Sep, 2016 03:12 PM

anmol vachan

- मनोविकार भले ही छोटे हों या बड़े, ये शत्रु के समान हैं और प्रताडऩा के ही योग्य हैं। - मनोविकारों

- मनोविकार भले ही छोटे हों या बड़े, ये शत्रु के समान हैं और प्रताडऩा के ही योग्य हैं।
 
- मनोविकारों से परेशान, दुखी, चिंतित मनुष्य के लिए उनके दुख-दर्द के समय श्रेष्ठ पुस्तकें ही सहारा हैं।
 
- महानता के विकास में अहंकार सबसे घातक शत्रु है।
 
- महानता का गुण न तो किसी के लिए सुरक्षित है और न प्रतिबंधित। जो चाहे अपनी शुभेच्छाओं से उसे प्राप्त कर सकता है।
 
- महापुरुषों का ग्रंथ सबसे बड़ा सत्संग है।
 
- मात्र हवन, धूप बत्ती और जप की संख्या के नाम पर प्रसन्न होकर आदमी की मनोकामना पूरी कर दिया करे, ऐसी देवी दुनिया में कहीं नहीं है।
 
- मजदूर के दो हाथ जो अर्जित कर सकते हैं वह मालिक अपनी पूरी सम्पत्ति द्वारा भी प्राप्त नहीं कर सकता।
 
- मेरा निराशावाद इतना सघन है कि मुझे निराशावादियों की मंशा पर भी संदेह होता है।
 
- मूर्ख व्यक्ति दूसरे को मूर्ख बनाने की चेष्टा करके आसानी से अपनी मूर्खता सिद्ध कर देते हैं।
 
- मरते वे हैं, जो शरीर के सुख और इंद्रीय वासनाओं की तृप्ति के लिए रात-दिन खपते रहते हैं।
 
- मस्तिष्क में जिस प्रकार के विचार भरे रहते हैं वस्तुत: उसका संग्रह ही सच्ची परिस्थिति है। उसी के प्रभाव से जीवन की दिशाएं बनती और मुड़ती रहती हैं।
 
- महात्मा वह है, जिसके सामान्य शरीर में असामान्य आत्मा निवास करती है।
 
- मानव जीवन की सफलता का श्रेय जिस महानता पर निर्भर है, उसे एक शब्द में धार्मिकता कह सकते हैं।
 
- मानवता की सेवा से बढ़कर और कोई बड़ा काम नहीं हो सकता।
 
- मांसाहार मानवता को त्याग कर ही किया जा सकता है।

 

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