अपनी वाणी को बाण नहीं वीणा बनाएं

Edited By ,Updated: 16 Sep, 2015 03:43 PM

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* झूठ कभी नहीं बोलें। यह मनुष्य को कष्ट में डाल देता है और कभी-कभी झूठ बोल कर आदमी को लज्जित भी होना पड़ता है। * शांति को अपने अंदर खोजें।

  * झूठ कभी नहीं बोलें। यह मनुष्य को कष्ट में डाल देता है और कभी-कभी झूठ बोल कर आदमी को लज्जित भी होना पड़ता है।

  * शांति को अपने अंदर खोजें। हर दिन को उत्सव बनाएं। प्रात: उत्साह के साथ हर दिन प्रारंभ करें।
 
  * हमारा मन बड़ा विचित्र है। यह हमें स्वर्ग की यात्रा भी करवाता है और नरक की भी। हमारा मन ही हमारा जीवन निर्माता है।
 
  * अपने दोषों को स्वीकार कर उन्हें उपलब्धियों में बदलना सीख लें। फिर जीवन के रास्ते सुंदर और सुगम बन जाएंगे।
 
  *अपनी वाणी को बाण नहीं वीणा बनाएं। सत्य बोलें। मीठा बोलें। क्रोध न करें। क्रोधी को कोई पसंद नहीं करता।
 
  * जिसके पास नाम नहीं वह कौड़ी के मोल बराबर नहीं है। श्री राम नाम के बराबर धरती पर कोई चीज नहीं है।
 
  * सपेरे ने सांप को पिटारी में यह कह बंद कर दिया, आजकल लोगों को डंसने के लिए तेरी जरूरत नहीं है। आजकल लोग ही एक-दूसरे को डंस रहे हैं।
 
—अमरनाथ भल्ला, न्यू उपकार नगर, लुधियाना 

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