ईश्वर तक जल्दी फरियाद पहुंचाने के लिए मंत्रों संग करें खास माला का प्रयोग

Edited By ,Updated: 02 Jul, 2016 03:36 PM

chanting beads

उपांशु जप पद्धति के अनुसार यदि कोई साधक केवल 108 बार जप करता है तो उसे 10,800 जप के बराबर फल प्राप्त होता है। इसलिए जप में संख्या संबंधी शुद्धता को बनाए रखने के लिए 108 दानों की माला को उपयोगी माना गया है।

उपांशु जप पद्धति के अनुसार यदि कोई साधक केवल 108 बार जप करता है तो उसे 10,800 जप के बराबर फल प्राप्त होता है। इसलिए जप में संख्या संबंधी शुद्धता को बनाए रखने के लिए 108 दानों की माला को उपयोगी माना गया है।

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ब्रह्मांड स्थित नक्षत्रों की संख्या 27 है। इन सभी नक्षत्रों के चरणों के स्पर्श के लिए मान्यता है कि 108 बार जप अवश्य करना चाहिए। ऐसा जप साधक का अखिल ब्रह्मांड में व्याप्त नक्षत्रीय क्षेत्र और वायुमंडल से संपर्क करवा देता है। खगोल विज्ञान के अनुसार प्रत्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं अत: 27*4*108 चरणों के स्पर्श से अखिल ब्रह्मांड को स्पर्श करने का पुण्य मिल जाता है।

 

मानव शरीर में 108 जैविक केंद्र (साइकिक सैंटर) हैं जो मस्तिष्क में 108 तरंगें (वेव लैंथ) उत्सर्जित करते हैं। 108 मनके की माला का एक कारण यह भी है। भारतीय अध्यात्म के विचार से भी 9 के अंक को अति पूजनीय, प्रभावी और महत्वपूर्ण स्वीकार किया गया है। ग्रह नौ हैं, नवार्ण मंत्र भी 9 हैं, नवरात्र के दिन भी नौ हैं, दुर्गा जी के अवतार भी नौ हैं। कितने ही पौराणिक प्रसंगों में 18,1800,18000 की संख्या का जिक्र आता है। गणना करें तो स्पष्ट हो जाता है कि इन सभी संख्याओं का मूल यही 9 का अंक है।

 

हाथी दांत के मनकों से बनी हुई माला से जप करने पर गणेश जी प्रसन्न होते हैं, हालांकि यह माला काफी महंगी और दुर्लभ होती है। कमलगट्टे की माला का प्रयोग शत्रु के नाश और धन प्राप्ति के लिए किया जाता है। संतान प्राप्ति के लिए पुत्र जीवा की अल्प मौली माला फलदायी मानी गई है। पुष्टि कर्म के अंतर्गत सात्विक कार्यों की पूर्ति के लिए चांदी की माला सर्वोत्तम मानी गई है। इसका प्रभाव जप के साथ ही आरंभ हो जाता है। 

 

जबकि मूंगा (प्रवाल) की माला धारण करने व इसके जप में प्रयोग करने से गणेश और लक्ष्मी की कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है। धन-संपत्ति, द्रव्य, स्वर्ण आदि की प्राप्ति की कामना मूंगे की माला से पूर्ण हो जाती है। कुश ग्रंथ की माला  कुश नामक घास की जड़ को खोद कर बनाई जाती है। इसका जातक अथवा साधक पर जप के दौरान जादुई प्रभाव होता है। सहज उपलब्धता के कारण अक्सर लोग इसे अप्रभावी मानकर हाशिए पर फैंक देते हैं लेकिन अध्यात्म की दुनिया में इसके गुणों का कोई सानी माला नहीं है। कुश ग्रंथी माला समस्त कायिक, वाचिक और मानसिक पातकों का शमन करती हुई साधक को निष्कलंक, प्रदूषणमुक्त, निर्मल और सतेज बनाती हैं। इसके प्रयोग से तामसिक व्याधियों का विनाश होता है।

 

चंदन की माला दो प्रकार की मिलती है- सफेद और लाल चंदन की। श्री राम, विष्णु, कृष्ण आदि देवताओं की स्तुति, पूजन-अर्चन आदि में सफेद चंदन की माला से किया गया जप देखते-देखते धन-धान्य की प्राप्ति करवा देता है। जबकि लाल चंदन की माला गणेश तथा दुर्गा, लक्ष्मी, त्रिपुर सुंदरी आदि देवी स्वरूपों की उपासना में प्रयोग में लाई जाती है।

 

तुलसी की माला सस्ती है और सर्वत्र उपलब्ध है। इसलिए राम कृष्ण की उपासना में वैष्णव भक्त इसका बड़ी ही श्रद्धापूर्वक प्रयोग करते हैं। आयुर्वैदिक दृष्टि से भी इसे गले में धारण करने का महत्व है। इसे लोग सुरक्षा कवच मानकर भी गले में पहने रहते हैं।

 

सोने के मनकों वाली माला जप आदि में तो प्रयोग में कम लाई जाती है लेकिन अनुभव में आया है कि स्वर्ण माला के धारण करने से धन प्राप्ति और पुत्र प्राप्त की कामना शीघ्र पूरी होती है। स्फटिक की माला सौम्य प्रभाव वाली होती है। इसके धारकों पर चंद्रमा और शिव जी की विशेष कृपा होती है। सात्विक और पुष्टि कार्यों के लिए इसके प्रभाव स्वयं सिद्ध हैं। शंखमाला का प्रयोग तांत्रिक विद्याओं की सिद्धि के लिए किया जाता है। शिवजी की पूजा आराधना तथा सात्विक कामनाओं की पूर्ति तथा जप आदि में इसकी लोकप्रियता शिखर पर है।

 

वैजयंती की माला विष्णु और कृष्ण के भक्तों को प्रिय है। यह बहुप्रयोजनीय है। भक्त तो भक्त, इसे भगवान भी धारण कर सौभाग्य अर्जित करना चाहते हैं। हल्दी की माला गणेश जी की प्रसन्नता के लिए है। बृहस्पति ग्रह तथा बगलामुखी की साधना हल्दी की माला के बिना अधूरी मानी जाती है।

 

इन सभी मालाओं का जहां आध्यात्मिक महत्व है, वहीं ये धारक के मन, मस्तिष्क, चर्म, अस्थि, रक्त प्रवाह, वात संस्थान और संवेगों को भी प्रभावित करती हैं। रुद्राक्ष की माला इस दृष्टि से सर्वगुण संपन्न मानी गई है। लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश, राम, कृष्ण, शिव, विष्णु, दत्त तथा नवग्रह आदि की साधना में रुद्राक्ष की माला का उपयोग मनोवांछित फल देने वाला है। माला चाहे जैसी भी हो, उसका शुद्ध पूर्ण और वास्तविक होना आवश्यक है। टूटी-फूटी, आधी-अधूरी, अशुद्ध माला प्रभावकारी नहीं होती। जप के प्रभाव को कम या ज्यादा करने में माला एक प्रमुख उपदान है, इसलिए किसी विद्वान के निर्देश पर ही इसका प्रयोग करना चााहिए। माला को गंगाजल अथवा कच्चे दूध से स्नान करवाने के बाद ही उपयोग में लाना चाहिए।  शुद्धता किसी भी माला के प्रभावकारी होने की पहली शर्त है। 

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!