Edited By ,Updated: 25 Jul, 2016 01:56 PM
इच्छापूर्ति के लिए श्री दुर्गा सप्तशती से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है। इसे पांचवां वेद कहा गया है। ऐसी कोई कामना नहीं, जिसकी पूर्ति इसके मंत्रों के प्रयोग से
इच्छापूर्ति के लिए श्री दुर्गा सप्तशती से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है। इसे पांचवां वेद कहा गया है। ऐसी कोई कामना नहीं, जिसकी पूर्ति इसके मंत्रों के प्रयोग से पूर्ण न हो। कुछ विशेष मंत्र नीचे दिए गए हैं तथा उनका प्रयोग भी साथ है।
1. हैजा-प्लेग जैसी महामारी नाश के लिए-
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।’
2. रोग नाश के लिए-
‘रोगान शेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा, तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणा, त्वामाश्रित ह्याश्रयतां प्रयांति।।’
3. दुख-दारिद्रय नाश के लिए-
‘दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:, स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां
ददासि। दारिद्रय-दुख-भयहारिणि का त्वदन्या, सर्वोपकार करणाय, सदाऽद्र्रचित्ता:।।’
4. कार्य की सफलता हेतु
‘धर्म्याणि देवि सकलानि सदैव कर्मा, ण्त्यादृत: प्रतिदिनं सुकृती करोति।
स्वर्गं प्रयाति च ततो भवती प्रसादालल्लोकत्रयेऽपि फलदा ननु देवि तेन।।’
5. अचानक विपत्ति या उपद्रवों की शांति हेतु
‘रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा, यत्रार्यो दस्यु बलानि यत्र।
दावानलो यत्र तथाऽब्धि मध्ये, तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम्।।’
6. समस्त कार्यों की सिद्धि तथा देवी कृपा प्राप्ति के लिए-
‘शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे, सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते।।’
उपरोक्त मंत्रों का प्रयोग यथाशक्ति 11-21-51 माला प्रतिदिन देवी का पूजन करने के पश्चात रुद्राक्ष की माला से कर अंत में प्रचलित पदार्थों के प्रयोग से हवन करें। कन्या तथा ब्राह्मण भोजन अवश्य कराएं। कामनापूर्ति होगी।