देवी-देवताओं को प्रसाद चढ़ाने से पहले जानें कुछ खास

Edited By ,Updated: 14 Oct, 2016 10:59 AM

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मंदिर में ईश उपासना के उपरांत तुलसीकृत जलामृत व पंचामृत के बाद बांटे जाने वाले पदार्थ को प्रसाद कहते हैं। पाठ-पूजा के समय जब

मंदिर में ईश उपासना के उपरांत तुलसीकृत जलामृत व पंचामृत के बाद बांटे जाने वाले पदार्थ को प्रसाद कहते हैं। पाठ-पूजा के समय जब कोई भोज्य सामग्री देवी-देवताओं को अर्पित की जाती है तो वह सामग्री प्रसाद के रूप में वितरण होती है।

प्रत्येक देवी-देवता के प्रिय भोज्य पदार्थ अलग-अलग हैं। जब कोई भोज्य पदार्थ भगवान को प्रेम से खिलाया जाता है और व्यक्ति भक्ति-भावना से उसे ग्रहण करता है तो उसमें विद्यमान अद्वैतय शक्ति से उसे लाभ मिलता है। 

श्री कृष्ण कहते हैं- 

'पत्रं, पुष्पं, फलं, तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मन:।'

अर्थ : जो कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्ध बुद्धि निष्काम प्रेमी का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुण रूप में प्रकट होकर प्रीति सहित खाता हूं।


देवी-देवताओं के प्रिय भोज्य पदार्थ:
- श्री विष्णु को खीर और सूजी का हलवा प्रिय है।

- देवों के देव महादेव को भांग और पंचामृत प्रिय है।

- विद्या की देवी सरस्वती को दूध, पंचामृत, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू और धान का लावा प्रिय है।

- धन की देवी लक्ष्मी को सफेद रंग के मिष्ठान, केसर भात प्रिय है।

- दुष्टों का संहार करने वाली मां दुर्गा को खीर, मालपुए, पूरणपोली, केले, नारियल और मिष्ठान प्रिय है।

- प्रथम पूज्य गणेश जी को मोदक या लड्डू प्रिय है।

- श्री राम को केसर भात, खीर और धनिए का चूरमा प्रिय है।

- राम भक्त हनुमान को हलवा, पंच मेवा, गुड़ से बने लड्डू या रोठ, डंठल वाला पान और केसर भात प्रिय है।

- श्री कृष्ण को माखन और मिश्री प्रिय है।

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