ग्रहण के समय करें इन मंत्रों का जाप, सफलता के योग बनेंगे

Edited By ,Updated: 01 Sep, 2016 09:19 AM

solar eclipse

चंद्र ग्रहण केवल पूर्णमासी पर ही लगता है और सूर्य ग्रहण अमावस पर ही दिखेगा। पौराणिक काल से राहू और केतु को समुद्र मंथन से जोड़ा गया है और ज्योतिष इन्हें छाया ग्रह मानता है। भूकंप आने व प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी भी ऐसी खगोलीय घटनाओं से की जाती...

चंद्र ग्रहण केवल पूर्णमासी पर ही लगता है और सूर्य ग्रहण अमावस पर ही दिखेगा। पौराणिक काल से राहू और केतु को समुद्र मंथन से जोड़ा गया है और ज्योतिष इन्हें छाया ग्रह मानता है। भूकंप आने व प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी भी ऐसी खगोलीय घटनाओं से की जाती है। ज्योतिष शास्त्र न केवल हजारों सालों से यह बताता आया है कि ग्रहण कब लगेंगे बल्कि यह भी बताता है कि धरती तथा धरती वासियों एवं अन्य ग्रहों पर भी ऐसी खगोलीय घटना का क्या प्रभाव पड़ता है।  
 
ज्योतिषशास्त्र के दार्शनिक खंड के अनुसार खगोलीय ग्रहण के दौरान समस्त जीवों पर इसका शुभाशुभ प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में दान-पुण्य व मंत्रजाप का विशिष्ट महत्व बताया गया है। शास्त्रानुसार ग्रहण से पूर्व और ग्रहण के बाद आवश्यक रूप से नहाना चाहिए।
 
जीवन के किसी भी मोड़ पर इंसान के सामने कोई ऐसी विपत्त‍ि आ खड़ी होती है, जिससे पार पाने में वह खुद को एकदम असमर्थ पाता है। ऐसी स्थ‍िति से उबरने में विवेकपूर्वक किए गए कर्म और दैवीय सहायता काम आते हैं। शास्त्रों में बहुत से ऐसे मंत्र हैं, जो हर तरह के संकटों से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं। इन मंत्रों की 11  जाप मालाएं करें। 
 
कार्य सिद्धि के लिए: ओम् आं हृां क्ष्वीं ओम् हृीं तथा ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:।
 
कोर्ट केस व शत्रु हनन के लिए: ओम् मम शत्रुन हन कालि शर शर,दम दम मर्दय मर्दय तापय तापय, गोपय पताय शोषय शोषय, उत्सादय उत्सादय, मम सिद्घि देहि फट्
 
बिगड़े, रुष्ट, अन्य में आसक्त पति या पत्नी को अनुकूल बनाने के लिए: ओम् अस्य श्री सुरी मंत्रस्वार्थवर्ण, गषि इति शिपस स्वाहा!!
 
कन्या के विवाह हेतु: ओम् गौरी पति महादेवाय मम इच्छित वर प्राप्त्यर्थ गोर्ये नम: 
 
वास्तु मंत्र: ओम नमो वैश्वानर वास्तु रुपाय भूपति एवं मे देहि काल स्वाहा।
 
शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु: ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:॥
 
मनचाही पत्नी पाने हेतु: पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोभ्दवाम्।। 
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