Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 12:02 PM
वीआईपी कल्चर को खत्म करने के केंद्र सरकार के दावे को सामने आए आकड़ें मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। उन आकड़ों से जो हकीकत सामने आई है वो सच में हैरान कर देने वाली है।
नई दिल्लीः वीआईपी कल्चर को खत्म करने के केंद्र सरकार के दावे को सामने आए आकड़ें मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। उन आकड़ों से जो हकीकत सामने आई है वो सच में हैरान कर देने वाली है। भारत में वीआईपी कल्चर अभी भी कायम है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि देश के 20 हजार वीआईपी की सुरक्षा में लगभग 3 पुलिसकर्मी हैं लेकिन 663 आम लोगों की सुरक्षा पर सिर्फ एक पुलिसकर्मी को लगाया गया है। ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट (बीपीआरऐंडडी) ने गृह मंत्रालय की ओर से यह डेटा तैयार किया है। इन आंकड़ों के अनुसार, 'इस वक्त देश में 19.26 लाख पुलिसकर्मी हैं। इनमें से 56,944 पुलिसकर्मी 20,828 लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात हैं।' बीपीआरऐंडडी की रिसर्च के अनुसार, 'भारत के 29 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में वीआईपी के लिए तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या औसतन 2.73 है। लक्षद्वीप देश का अकेला संघशासित प्रदेश है जहां किसी भी वीआईपी की सुरक्षा में पुलिसकर्मी तैनात नहीं है।' आम जनता के लिए भारत आज भी विश्व का सबसे कम पुलिसकर्मियों वाला देश है। भारत में 663 लोगों पर 1 पुलिसकर्मी है।
बिहार में सबसे ज्यादा वीआईपी सुरक्षा
बीपीआरऐंडडी के अनुसार, 'वीआईपी संस्कृति की जड़ें पूर्वी और उत्तर भारत में और ज्यादा गहरी हैं। बिहार का आम जनता के लिए पुलिसकर्मियों की नियुक्ति का अनुपात सबसे खराब है। बिहार में 3,200 वीआईपी की सुरक्षा के लिए 6,248 पुलिसकर्मी तैनात हैं। पश्चिम बंगाल भी इस लिहाज से पीछे नहीं है। बंगाल में 2,207 वीआई हैं और उनकी सुरक्षा के लिए 4,233 पुलिसकर्मी तैनात हैं। बता दें कि बंगाल में वीआईपी सुरक्षा के लिए नियमों के तहत सिर्फ 501 पुलिसकर्मी ही नियुक्त करने का प्रावधान है।
केंद्र ने लगाया लाल बत्ती पर बैन
केंद्र सरकार की तरफ से वीआईपी कल्चर की प्रवृति को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए गए। लाल बत्ती प्रतिबंधित करना ऐसा ही एक कदम है। इसके बावजूद राज्य सरकारें किसी व्यक्ति को पुलिस सुरक्षा देने के लिए अपने नियम बना लेती है। जिन लोगों को पुलिस सुरक्षा मिल रही है उनमें से ज्यादातर अपनी जान को खतरा ही कारण बताते हैं।