Edited By Seema Sharma,Updated: 03 Aug, 2021 11:21 AM
वेदिका शिंदे का नाम सुनते ही एक प्यारा-सा चेहरा और मुस्कान आंखों के सामने आ जाती है जिसने पिछले दिनों देश के कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। पर अब वो मुस्कुराता हुआ चेहरा कभी नजर नहीं आएगा, वेदिका अब सिर्फ यादों में जिंदा रहेगी।
नेशनल डेस्क: वेदिका शिंदे का नाम सुनते ही एक प्यारा-सा चेहरा और मुस्कान आंखों के सामने आ जाती है जिसने पिछले दिनों देश के कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। पर अब वो मुस्कुराता हुआ चेहरा कभी नजर नहीं आएगा, वेदिका अब सिर्फ यादों में जिंदा रहेगी। हम बात कर रहे हैं पुणे की 11 महीने की बच्ची वेदिका शिंदे की जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए टाइप ई-1) से जूझ रही थी। वेदिका को बचाने के लिए 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन दिया गया था लेकिन 1 अगस्त को उसने दुनिया को अलविदा कह दिया।
वेदिका के पिता सौरभ शिंदे ने बताया कि इंजेक्शन देने के बाद वेदिका की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था लेकिन रविवार (1 अगस्त) को अचानक उसका ऑक्सीजन लेवल गिर गया और उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वेदिका को परिजन पास के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इस दौरान ही उसकी मौत हो गई।
वेदिका का इलाज करवाने के लिए अमेरिका से 16 करोड़ रुपये की इंजेक्शन मंगवाया गया था, देशभर से वेदिका के लिए 14.3 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद जुटाई गई थी। केंद्र सरकार की तरफ से भी अमेरिका से आने वाले इंजेक्शन के आयात शुल्क को माफ कर दिया गया था लेकिन इसके बावजूद मासूम को बचाया नहीं जा सका।
वेदिका एस.एम.ए. टाइप-1 से पीड़ित थी जो एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारी के कारण 2 साल की उम्र से पहले ही बच्चे की जान जाने का खतरा रहता है। वेदिका को 15 जून को को इंजेक्शन दिया गया था और उसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
इसके बाद से वेदिका की हालत में सुधार हो रहा था लेकिन वह काफी कमजोर हो गई थी और मसल में कमजोरी के कारण उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और आखिरकार 1 अगस्त रविवार रात को उसने अंतिम सांस ली। वेदिका के इस तरह चले जाने से उसके परिवार वाले काफी सदमे में हैं, उनकी विश्वास था कि इतना मंहगा टीका लगने के बाद उनकी बेटी ठीक हो जाएगी।