14 साल के निहत्थे किशोर ने मार गिराया हथियारबंद आतंकवादी, दो साल बाद मिला शौर्य चक्र

Edited By shukdev,Updated: 20 Mar, 2019 12:02 PM

जम्मू कश्मीर के शोपियां में एक 14 साल के निहत्थे किशोर ने हथियारबंद आतंकवादी को मार गिराया। घटना दो साल पहले की है जब आतंकवादियों ने शोपियां के इरफान रमजान  शेख के घर पर हमला किया था। इस हमले में इरफान के पिता की मौत हो गई लेकिन अपने भाई-बहनों समेत...

जम्मू: जम्मू कश्मीर के शोपियां में एक 14 साल के निहत्थे किशोर ने हथियारबंद आतंकवादी को मार गिराया। घटना दो साल पहले की है जब आतंकवादियों ने शोपियां के इरफान रमजान  शेख के घर पर हमला किया था। इस हमले में इरफान के पिता की मौत हो गई लेकिन अपने भाई-बहनों समेत परिवार के अन्य सदस्यों को बचाने में सफल रहा।

PunjabKesariराष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया सम्मानित
आतंक के गढ़ में खौफ के पर्याय बने इस किशोर को अब दो साल बाद राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को राष्‍ट्रपति भवन में शौर्य चक्र से सम्‍मानित किया। ऐसे बहुत कम मामले हुए हैं जब आम इंसान को वीरता पुरस्‍कार से सम्मानित किया गया है। इरफान के परिजनों ने बताया कि उसे काफी मलाल रहा कि वह अपने पिता को नहीं बचा सका लेकिन इस बात का सुकून भी है​ कि उसने उनकी मौत का बदला ले लिया। वह अंदर से भी बहादुर है और जब वह आतंकियों से लड़ रहा था तो जानता था कि क्या हो सकता है, पर वह डरा नहीं बल्कि हथियारबंद आतंकियों से सीधा भिड़ गया।

 होमनू गांव का रहने वाला है इरफान
इरफान अहमद शेख अब 17 साल का हो चुका है, उसके तीन छोटे भाई-बहन और एक चचेरा भाई भी है। वह आतंकियों का मजबूत किला कहलाने वाले जिला शोपियां में इमाम साहब के पास स्थित होमनू गांव का रहने वाला है। उसके पिता मोहम्मद रमजान शेख पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के हल्का प्रधान और गांव के पूर्व सरंपच थे। वह पेशे से ठेकेदार थे। मोहम्मद रमजान शेख वर्ष 2013 में भी आतंकी हमले में बाल-बाल बच गए थे।

PunjabKesariपिता की मौत के बाद हथियारबंद आतंकियों से भिड़ा इरफान
परिजनों ने बताया कि शाम को इमरान के पिता मोहम्मद रमजान शेख भी अपने परिजनों के साथ अपने घर के भीतर बैठ टीवी देख रहे थे। अचानक एक फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि बाहर छह मेहमान खड़े हैं, दरवाजा खोलो। मोहम्मद रमजान शेख किसी अनहोनी की आंशका से घबरा गए। लेकिन खुद को संभालते हुए उन्होंने जैसे ही दरवाजा खोला तो मेहमान के भेष में हिजबुल मुजाहिदीन के छह आतंकवादी घर में घुस आए थे।  रमजान शेख ने जान बचाने के लिए भागने का प्रयास किया। वो अंदर घुस आए लेकिन आतंकियों ने उन्हें पकड़ लिया।

एक आतंकी से राइफल छीनकर उसे गोाली से मारा 
एक आतंकी ने गुस्से में रमजान के बाल पकड़ उसे जमीन पर धक्का दिया। इसी दौरान पास ही खड़ा इरफान आतंकियों से उलझ पड़ा। घर के अन्य लोग भी आतंकियों का विरोध करने लगे। इस दौरान एक आतंकी ने शेख रमजान पर गोली चला दी । इसके इरफान ने आव देखा न ताव, एक आतंकी की राइफल छीन ली और उसने गोली चला दी। इसमें एक आतंकी मारा गया। इमरान का यह रूप देखकर अन्य आतंकी दुम दबाकर भाग खड़े हुए। हालांकि उनके पिता शेख रमजान को बचाया नहीं जा सका।

PunjabKesariआतंकियों के खौफ से रमजान के जनाजे शामिल नहीं हुए रिश्तेदार
रमजान की मौत से पूरा परिवार सदमे में डूबा था। आतंकियों के डर से बहुत से रिश्तेदार और पड़ोसी भी जनाजे में भी नहीं आए। रमजान को मंगलवार की दोपहर से पहले ही उसके पैतृक कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक कर दिया गया। मारा गया आतंकी शौकत कुमार उर्फ शौकत फलाही भी निकटवर्ती गांव त्रेंज का रहने वाला था। इस पर आतंकियों ने भीड़ को रमजान के परिवार के खिलाफ भड़का दिया। त्रेंज व अन्य इलाकों से आतंकियों के समर्थक गांव में पहुंचना शुरू हो गए। दिवंगत रमजान शेख के भाई फारुक अपने भाई के चारों बच्चों, अपने बीबी बच्चों ,मां व अन्य रिश्तेदारों को लेकर निकटवर्ती बाग में छिपे। भीड़ की अगुआई एक दिन पहले ही दुम दबाकर भागे आतंकी कर रहे थे। इसी दौरान भीड़ में मौजूद लोगों ने मकान काे आग लगा दी। कुछ पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने परिवार को सेफ हाउस में स्थानांतरित कर दिया।

अब होमनू गांव में घुसने की हिम्मत नहीं करता कोई आतंकी
इरफान के चाचा फारुक अहमद ने कहा कि आतंकियों ने साजिश के तहत हमारे परिवार पर हमला कर दिया था। इसमें उनका एक साथी मारा गया। मैंने अपने भाई को खो दिया। आप सोचें 14 साल के इमरान पर इसका कितना गहरा असर हुआ होगा। पिता को खोने के दुख में शुरू में तो वह ठीक से खाना भी नहीं खा पा रहा था। अब वह नई जिंदगी की शुरुआत कर चुका है, वह हमारे लिए नहीं दूसरों के लिए भी मिसाल है। मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं, पहले जो लोग आतंकियों के डर से चुप रहते थे, अब अक्सर गांव में इरफान की बहादुरी की बात करते हैं। आतंकियों के समर्थकों में भी इस बात का डर है कि लोग इरफान की तरह उनके साथ सुलूूक कर सकते हैं। इसलिए वह हमारे गांव की तरफ नहीं आते।

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