50 रेलवे स्टेशन, 150 ट्रेनों को निजी हाथों में देने की तैयारी, सरकार ने बनाई कमेटी

Edited By Yaspal,Updated: 10 Oct, 2019 07:56 PM

150 trains ready to be given in private hands government formed committee

रेल मंत्रालय ने नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की अध्यक्षता में सचिवों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है जो देश के 50 रेलवे स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने तथा वर्तमान रेलवे नेटवकर् पर विश्वस्तरीय तकनीक

नई दिल्लीः रेल मंत्रालय ने नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की अध्यक्षता में सचिवों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है जो देश के 50 रेलवे स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने तथा वर्तमान रेलवे नेटवकर् पर विश्वस्तरीय तकनीक से लैस डेढ़ सौ ट्रेनों को निजी ऑपरेटरों द्वारा परिचालन की अनुमति प्रदान करेगी।

रेल मंत्रालय द्वारा आज यहां जारी एक आदेश के अनुसार कांत की अध्यक्षता वाली इस समिति में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव, शहरी विकास एवं आवास सचिव तथा रेलवे बोर्ड के वित्त आयुक्त शामिल हैं। स्टेशनों के विकास की परियोजनाओं पर विचार के समय रेलवे बोर्ड के सदस्य इंजीनियरिंग और निजी ट्रेनों के परिचालन के विचार के समय रेलवे बोर्ड के सदस्य यातायात भी समिति में बतौर सदस्य शामिल होंगे।
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आदेश के अनुसार यह उच्चाधिकार प्राप्त समिति निविदा दस्तावेजों के प्रारूप एवं प्रक्रिया तथा लाभ अथवा राजस्व की हिस्सेदारी के फार्मूले आदि को तय करेगी तथा निविदा प्रक्रिया की निगरानी करेगी एवं निर्णय लेगी ताकि परियोजनाओं को समयबद्ध ढंग से अमल में लाया जा सके। उल्लेखनीय है कि बुधवार को नीति आयोग ने रेलवे बोडर् के अध्यक्ष को पत्र लिख कर इस बात पर निराशा जाहिर की थी कि रेलवे बोर्ड ने 400 स्टेशनों को विश्वस्तरीय सुविधाओं से युक्त स्टेशनों के रूप में विकसित करने तथा विश्वस्तरीय सुविधाओं वाली 150 ट्रेनों को निजी ऑपरेटरों को चलाने की अनुमति देने की सहमति देने के बावजूद इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं की।
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रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव पहले भी निजी ट्रेनों के परिचालन की अनुमति दिये जाने की घोषणा कर चुके हैं। रेलवे इसके लिए निजी ऑपरेटरों को विदेशी ट्रेनसेट खरीदने एवं परिचालित करने की अनुमति भी देगी। सूत्रों के अनुसार रेलवे ने तय किया है कि दिसंबर 2021 के बाद दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के बीच करीब तीन हजार किलोमीटर का डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर (डीएफसी) चालू होने के बाद इन दोनों मार्गों को सेमी हाईस्पीड डेडिकेटेड पैसेंजर कॉरीडोर के रूप में विकसित किया जाएगा और उन पर निजी ऑपरेटरों को ट्रेनें चलाने की अनुमति दी जाएगी। हाल ही में रेलवे की इन दोनों मार्गों को सेमी हाईस्पीड बनाने की करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए की योजना को केन्द्रीय मंत्रिमंडल भी स्वीकृति प्रदान कर चुका है। 
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सूत्रों के अनुसार निजी ट्रेन परिचालन के प्रायोगिक परीक्षण या पायलट प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली से लखनऊ और मुंबई से अहमदाबाद के बीच तेजस एक्सप्रेस चलाने का निर्णय लिया गया है और उनमें लोको पायलट, गार्ड को छोड़कर गाड़ी के भीतर पूरा प्रबंधन, टिकट बुकिंग से लेकर खानपान, चादर-तौलिया, साफ-सफाई, विज्ञापन, मनोरंजन आदि की जिम्मेदारी परिचालन करने वाली कंपनी की होगी। इन दोनों गाड़यिों का परिचालन भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) करेगी। दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस का परिचालन शुरू हो चुका है। जबकि मुंबई-अहमदाबाद तेजस एक्सप्रेस का परिचालन अगले माह से आरंभ होगा। 
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सूत्रों ने कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट के खामियों एवं खूबियां का अध्ययन किया जाएगा और उसके आधार पर सेवाशर्तों को दुरुस्त करके सही किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एक ट्रेन परिचालन का खर्च 18 लाख रुपये प्रति दिन है। इसमें दिल्ली से लखनऊ और वापसी के सफर का खर्च शामिल है। सिफर् किराये से यह खर्च नहीं निकल सकता और इसलिए कंपनी विज्ञापन पर फोकस करेगी। उन्होंने बताया कि ट्रेन के डिब्बों पर बाहर तो विज्ञापन होगा ही, ट्रेन के अंदर भी विज्ञापन से कमाई के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। इस ट्रेन में यात्रियों को 25 लाख रुपए का मुफ्त बीमा दिया गया है।

सूत्रों के अनुसार निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ेगी तो उसके लिए नियामक की भी आवश्यकता होगी। इसके लिए रेलवे नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। प्राधिकरण की भूमिका के बारे में गहन विचार करके नयी रूपरेखा बनायी जा रही है।

 

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