Edited By Yaspal,Updated: 23 Sep, 2018 09:30 PM
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ साथ अब क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के एकीकरण की प्रक्रिया भी शुरू करने जा रही है। सरकार का इरादा आरआरबी की संख्या को मौजूदा 56 से
नई दिल्लीः सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ साथ अब क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के एकीकरण की प्रक्रिया भी शुरू करने जा रही है। सरकार का इरादा आरआरबी की संख्या को मौजूदा 56 से घटाकर 36 करने का है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बारे में केंद्र ने राज्यों के साथ विचार विमर्श शुरू किया है क्योंकि देश में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के वह भी प्रायोजक हैं।
अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा प्रायोजक बैंक किसी एक राज्य के भीतर स्थित आरआरबी के आपस में विलय की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। यह घटनाक्रम इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि सरकार ने इसी महीने बैंक आफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय की प्रक्रिया शुरू की है। अधिकारी ने कहा कि आरआरबी के प्रस्तावित एकीकरण के तहत उनकी संख्या को 56 से घटाकर 36 पर लाया जाएगा। इससे आरआरबी की दक्षता और उत्पादकता बढ़ेगी और साथ ही इन बैंकों की वित्तीय स्थिति सुधारी जा सकेगी, वित्तीय समावेशन को बेहतर किया जा सकेगा और ग्रामीण इलाकों में कर्ज का प्रवाह बढ़ सकेगा।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन आरआरबी अधिनियमन 1976 के तहत किया गया है। इनके गठन के पीछे मकसद छोटे किसानों, कृषि श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्र में कारीगरों को कर्ज तथा दूसरी सुविधायें उपलब्ध कराना था। इस कानून में 2015 में संशोधन किया गया। इसके तहत इन बैंकों को केन्द्र, राज्य सरकारों और प्रायोजक बैंक के अलावा दूसरे स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई। वर्तमान में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है जबकि 35 प्रतिाश्त हिस्सेदारी संबंधित प्रायोजक बैंक की और 15 प्रतिशत राज्य सरकार की हिस्सेदारी है।