5 राज्यों के 18,000 कोटा के छात्रों की हुई घर वापसी, 30 दिन बाद ली राहत की सांस

Edited By vasudha,Updated: 24 Apr, 2020 09:50 AM

18 000 students from 5 states return home

लॉकडाउन के कारण कोटा में अटके करीब 18,000 कोचिंग छात्र अपने-अपने घर लौट चुके हैं। लॉकडाउन की घोषणा के बाद मेडिकल (नीट) और इंजीनियरिंग प्रवेश (जेईई) परीक्षा की कोचिंग ले रहे करीब 40000 छ़ात्र कोटा में अटक गये थे...

नेशनल डेस्क: लॉकडाउन के कारण कोटा में अटके करीब 18,000 कोचिंग छात्र अपने-अपने घर लौट चुके हैं। लॉकडाउन की घोषणा के बाद मेडिकल (नीट) और इंजीनियरिंग प्रवेश (जेईई) परीक्षा की कोचिंग ले रहे करीब 40000 छ़ात्र कोटा में अटक गये थे। अब तक वहां से पांच राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 18 हजार विद्यार्थी अपने-अपने घर जा चुके हैं। उनमें उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के करीब 12 हजार 500, मध्यप्रदेश के 2800, गुजरात के 350 तथा दादरा एवं नागर हवेली के 50 बच्चे शामिल हैं।

 

इसी प्रकार कोटा संभाग के अन्य जिलों के 2200 बच्चों को भी सकुशल उनके घर पहुंचाया गया है। कोटा से शुक्रवार को हरियाणा के 1000, असम के 400 तथा राजस्थान के विभिन्न जिलों के 1500 बच्चे अपने-अपने घरों के लिए रवाना होंगे। इसी तरह शनिवार को हिमाचल प्रदेश के 100, राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के 500 बच्चे बसों से तथा 300 बच्चे अपने निजी साधनों से घर जाएंगे।

 

कोटा जिला प्रशासन ने घर लौटने के इच्छुक राजस्थान के अन्य जिलों के कोटा में पढ़ रहे कोचिंग विद्यार्थियों के लिए एक गूगल फॉर्म एचटीटीपी://बिआईटी.एलवाई/राज_स्टूडेंट_घर_वापसी जारी किया है। इस पर ऐसे छात्र को अपना मोबाइल नंबर, कोचिंग आईडी प्रूफ तथा जिस माध्यम से वह घर जाना चाहता है, उसे दर्शाना होगा। साथ ही एक हेल्पलाइन नंबर 0744-2325342 भी शुरू की गई है। इस पर अपने घर जाने के इच्छुक कोटा के कोचिंग छात्र सम्पर्क कर सकते हैं।

 

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही कोटा में लगभग 40 हजार कोचिंग विद्यार्थी फंस गए थे। एक सरकारी बयान के अनुसार अभी भी बिहार के करीब 11 हजार, झारखण्ड के 3 हजार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के 2500-2500 बच्चे, महाराष्ट्र के 1800 एवं ओडिशा के करीब एक हजार बच्चे कोटा में मौजूद हैं। जम्मू-कश्मीर से बच्चों की सकुशल वापसी के लिए वार्ता की जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपील की है कि जिन राज्यों के बच्चे अभी कोटा में हैं, वे भी मानवीय आधार पर उन्हें अपने-अपने परिवार के पास ले जाने के लिए राज्य सरकार का सहयोग करें।

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