चीन के साथ 1962 के युद्ध ने विश्व मंच पर भारत की स्थिति को काफी नुकसान पहुंचाया: जयशंकर

Edited By Pardeep,Updated: 14 Nov, 2019 09:34 PM

1962 war with china greatly damaged india s position on world stage jaishankar

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि विश्व मंच पर भारत की स्थिति लगभग तय थी लेकिन चीन के साथ 1962 के युद्ध ने उसे काफी नुकसान पहुंचाया। जयशंकर ने यहां चौथे ‘रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान'' में यह भी कहा कि 1972 के शिमला समझौते का परिणाम...

नई दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि विश्व मंच पर भारत की स्थिति लगभग तय थी लेकिन चीन के साथ 1962 के युद्ध ने उसे काफी नुकसान पहुंचाया। जयशंकर ने यहां चौथे ‘रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान' में यह भी कहा कि 1972 के शिमला समझौते का परिणाम यह हुआ कि प्रतिशोध की आग में जल रहे पाकिस्तान ने जम्मू- कश्मीर में दिक्कतें उत्पन्न करना जारी रखा।

जयशंकर ने अपने संबोधन में विभिन्न मुद्दों का उल्लेख किया और पिछले कुछ दशकों के दौरान भारत के विदेश संबंधों का एक विश्लेषण पेश किया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर (आज) दुनिया बदल गई है तो हमें उसी के अनुसार, सोचने, बात करने और सम्पर्क बनाने की जरूरत है। पीछे हटने से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है।'' उन्होंने साथ ही कहा कि ‘‘राष्ट्रीय हितों का उद्देश्यपूर्ण अनुसरण, वैश्विक गति को बदल रहा है।''

उन्होंने आतंकवाद से निपटने में भारत के नये रुख को रेखांकित करते हुए मुम्बई आतंकवादी हमले पर ‘‘जवाबी कार्रवाई की कमी'' की तुलना, उरी और पुलवामा हमलों पर दिए गए जवाब से की। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से भारत के अलग होने पर विदेश मंत्री ने कहा कि खराब समझौते से कोई समझौता नहीं होना बेहतर है।

उन्होंने भू राजनीतिक मुद्दों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘‘वर्षों से भारत की विश्व मंच पर स्थिति लगभग तय नजर आ रही थी लेकिन 1962 में चीन के साथ युद्ध ने उसे काफी नुकसान पहुंचाया।'' रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान का आयोजन इंडियन एक्सप्रेस समूह ग्रुप द्वारा किया गया।

 

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