Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Dec, 2018 02:17 PM
34 साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार इंसाफ हुआ और पीड़ितों को न्याय मिला। दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सज्जन कुमार को 1984 सिख विरोधी दंगों के एक मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई
नई दिल्लीः 34 साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार इंसाफ हुआ और पीड़ितों को न्याय मिला। दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सज्जन कुमार को 1984 सिख विरोधी दंगों के एक मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई और पांच लाख रुपए जुर्माना लगाया। इस केस के अहम गवाहों में से एक जगशेर सिंह ने कहा कि उस दिन को याद करके आज भी हम लोग सिहर उठते हैं। जगशेर ने कहा कि उस नरसंहार में मेरा पूरा परिवार खत्म हो गया। हमारी जिंदगी बिखर गई, रोजगार का कोई जरिया न रहा और आखिर में हम लोग दिल्ली छोड़कर पंजाब आ गए। जगशेर ने कहा कि देर से ही सही न्याय तो मिला लेकिन जो उन लोगों ने उस दिन किया था उनको उस हिसाब से सजा नहीं हुई इस बात का अफसोस रहेगा।
जगशेर ने बयां किया उस दिन का दर्द
जगशेर ने कहा कि आज लोगों को पता चल गया कि इसी शख्स (सज्जन कुमार) ने उस दिन एक नहीं पांच लोगों की बेरहमी से हत्या करवा दी। उस दिन के दर्द को बयां करते हुए पीड़ित गवाह ने बताया कि अगर उस रात सज्जन न आता तो मेरे तीनों भाई बच जाते। सज्जन ने तब कहा था कि जो हिंदू इन सिखों को बचाने आता है उनको भी मारो। उसने हिंदुओं के घरों में भी हमला करवाया जिन्होंने सिखों को बचाने की कोशिश की। जगशेर के एक भाई को उनकी ही आंखों के सामने जिंदा जला दिया गया था और बाकि दो भाइयों को मार दिया गया था। उन्होंने बतया कि मेरे बाल कटे हुए थे इसलिए मैं बच गया। पर मेरी आंखों के सामने भड़काऊ भीड़ ने लाशों को भी नहीं छोड़ा और मरे हुए लोगों को ही काटा गया। लाशों के साथ इस तरह की बेदर्दी देख रोंगटे खड़े हो रहे थे।
ये है पूरा मामला
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़का दिए गए। इस नरसंहार के समय दिल्ली कैंट के राजनगर में पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी।