1984 सिख विरोधी दंगा मामला: उम्रकैद का अर्धशतक, फांसी की पहली सजा

Edited By Anil dev,Updated: 21 Nov, 2018 02:01 PM

1984 sikh riots indira gandhi hanging life imprisonment

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में फैले सिख विरोधी दंगों में हजारों सिखों की जान गई थी। एक नवंबर, 1984 को भारत के इतिहास की यह सबसे भयानक घटना घटी थी। राजधानी दिल्ली सहित कानपुर, राउरकेला और देश के अन्य शहरों में करीब 15,000...

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में फैले सिख विरोधी दंगों में हजारों सिखों की जान गई थी। एक नवंबर, 1984 को भारत के इतिहास की यह सबसे भयानक घटना घटी थी। राजधानी दिल्ली सहित कानपुर, राउरकेला और देश के अन्य शहरों में करीब 15,000 सिखों की हत्या कर दी गई थी। अकेले दिल्ली में ही सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2733 लोगों की हत्या हुई थी। इस मामले में वर्ष 2014 तक कुल 442 लोगों को सजा हुई है। इनमें से अब तक 49 लोगों को उम्रकैद की सजा मिली थी, लेकिन आज नरेश सहरावत को मिली उम्रकैद की सजा के बाद यह आंकड़ा 50 तक पहुंच गया। लेकिन फांसी की सजा पहली हुई है। 

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3 दोषियों को अब तक हुई 10 साल की सजा 
अब तक हुई सजाओं का आंकड़ा देखें तो इस मामले में 3 दोषियों को 10 साल की सजा हुई है। जबकि 5 दोषियों को 5 से 10 साल की सजा मिल चुकी है। इसके अलावा, 156 लोगों को 3 से 5 साल की सजा, 66 दोषियों को 3 वर्ष से कम सजा, 117 लोगों को जुर्माना एवं कड़ी चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, सिख दंगों के मामले में कुल 650 एफआईआर दर्ज हुई है। जबकि 363 चार्जशीट विभिन्न अदालतों में दाखिल हुई है। इसके अलावा 324 मामलों में  कोई दोषी साबित नहीं हुआ था। काबिले जिक्र यह है कि 34 साल पुराने इस मामले में अब तक कुछ 3081 लोग गिरफ्तार हुए थे। साथ ही 2014 तक कुल 442 को सजा मिल चुकी है। 

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किशोरी लाल की फांसी उम्रकैद में बदली 
1996 में कल्याणपुरी में 8 लोगों की हत्या के मामले में किशोरी लाल को फांसी की सजा हुई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाद में सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदल दिया था। किशोरी लाल कसाई का काम करता था। हालांकि, वर्ष 2012 में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने किशोरी लाल की सजा अच्छे व्यवहार के कारण खत्म करने की सिफारिश की थी। लेकिन तत्कालीन उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने सिफारिश को खारिज कर दिया था। इसके लिए उन्होंने तर्क दिया था कि सिखों के विरोध के चलते सजा खत्म नहीं की जा सकती है। 

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11 आयोग और कमेटियां बनीं 
1984 सिख दंगे की जांच के लिए 11 आयोग और कमेटियां बनीं। दंगे में कांग्रेस नेताओं की भूमिकाओं पर भी सवाल उठे थे। जांच के घेरे में सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर कांग्रेस के दो दिग्गज नेता थे, जिन पर दंगा भड़काने और दंगाइयों के नेतृत्व का आरोप था, लेकिन 2013 में एक निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया और पूर्व पार्षद बलवान खोखर, सेवानिवृत्त नौसैनिक अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य को एक नवंबर, 1984 को दिल्ली छावनी के राज नगर इलाके में एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी ठहराया। खोखर, बागमल और गिरधारी लाल को आजीवन कारावस की सजा सुनाई गई, जबकि अन्य दो दोषियों पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर को तीन-तीन साल जेल की सजा सुनाई गई। जगदीश टाइटलर को भी क्लीन चिट मिल गई।

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2733 लोगों की दंगों के दौरान हुई थी हत्या
3081 दंगाई और हत्यारे हुए थे गिरफ्तार 
442 लोगों को 2014 तक मिल चुकी थी सजा
49  लोगों को मिली थी मामले में उम्रकैद




 

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