1984 सिख दंगों की जांच में नया मोड़, अमरीका से आएगा गवाह

Edited By Anil dev,Updated: 04 Apr, 2019 11:31 AM

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नवम्बर 1984 में कानपुर में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान मारे गए सिखों के दोषियों को सजा दिलवाने के लिए अब अमरीका से गवाह आ सकते हैं। कानपुर में इन दंगों के दौरान 127 सिख मारे गए थे।

नई दिल्ली: नवम्बर 1984 में कानपुर में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान मारे गए सिखों के दोषियों को सजा दिलवाने के लिए अब अमरीका से गवाह आ सकते हैं। कानपुर में इन दंगों के दौरान 127 सिख मारे गए थे। इस मामले को लेकर अखिल भारतीय दंगा राहत कमेटी के अध्यक्ष कुलदीप सिंह भोगल तथा दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पीड़ितों को इंसाफ दिलवाने के लिए जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद फरवरी 2019 में यूपी सरकार ने एसआईटी बनाई थी। जिसकी जांच का कार्यकाल 6 महीने का है। अब इस मामले में नया मोड़ आया है। 

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की थी गवाही की पेशकश
अमरीका के राष्ट्रपति डोनालड ट्रंप की सुरक्षा में तैनात अंशदीप सिंह भाटिया  के परिवार ने अपने परिजनों की हत्या मामले मे कानपुर गुरुद्वारा कमेटी के सदस्यों से संपर्क किया हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए भोगल ने बताया कि भाटिया के दादा अमरीक सिंह दंगों के दौरान पंजाब एंड सिंध बैंक कानपुर में कार्यरत थे। उस समय अमरीक के ससुर व 1 पुत्र का कत्ल हुआ था। जबकि दुसरा पुत्र जख्मी हुआ था। जिसके बाद अमरीक का परिवार पहले लुधियाना तथा फिर अमरीका जा कर बस गया था। भोगल ने बताया कि अमरीक व उनके पुत्र देवेन्द्र सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही की पेशकश की थी। जिसके बाद अब एसआईटी के सामने गवाही देने के लिए 18 गवाह तैयार हैं। परंतु अभी 2 महीने बीतने के बाद भी एसआईटी का कानपुर में दफ्तर नहीं खुल पा रहा है।

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