Edited By Seema Sharma,Updated: 20 Jan, 2020 09:48 AM
‘शांति के प्रतीक’ कबूतरों को दाना डालना बड़ा अच्छा लगता है लेकिन आपको इस बात का अनुमान शायद न हो कि कबूतरों की बीट और पंखों की धूल आपको बीमार बना सकते हैं। कबूतरों की बीट में ऐसे इंफैक्शन होते हैं जो फेफड़ों को खासा नुक्सान पहुंचाते हैं और जल्दी इस...
मुंबई: ‘शांति के प्रतीक’ कबूतरों को दाना डालना बड़ा अच्छा लगता है लेकिन आपको इस बात का अनुमान शायद न हो कि कबूतरों की बीट और पंखों की धूल आपको बीमार बना सकते हैं। कबूतरों की बीट में ऐसे इंफैक्शन होते हैं जो फेफड़ों को खासा नुक्सान पहुंचाते हैं और जल्दी इस बात का पता भी नहीं चलता। अगर घर में लगे ए.सी. के आसपास कबूतरों ने घोंसला बनाया हो तो यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। एक रिसर्च के मुताबिक, एक कबूतर एक साल में 11.5 किलो बीट करता है। बीट सूखने पर उसमें परजीवी पनपने लगते हैं।
बीट में पैदा होने वाले परजीवी हवा में घुलकर संक्रमण फैलाते हैं। कबूतर और उनकी बीट के आसपास रहने पर इंसानों में सांस लेने में तकलीफ , फेफड़ों में इन्फैक्शन, शरीर में एलर्जी हो सकती है। कबूतर से होने वाली फेफड़ों की बीमारी को ‘हाइपर सैंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस’ कहते हैं। यह सुनकर आप वाकई हैरान हो रहे होंगे। अभी इससे भी गंभीर बात हम आपको बताने जा रहे हैं। कबूतरों की बीट और पंखों की धूल से मुम्बई की दो महिलाओं के फेफड़े फेल हो गए। इनमें से 38 वर्षीय होमाली शाह बोरीवली में रहती हैं जबकि 68 वर्षीय एक अन्य महिला ब्रीच कैंडी में रहती हैं। दोनों का हाल ही में मुम्बई में लंग ट्रांसप्लांट किया गया। ये दोनों कई वर्षों से ‘हाइपर सैंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस’ बीमारी से ग्रस्त थीं। दोनों से पूछताछ में जो बात सामने आई, वह यह है कि दोनों के घर में कबूतरों का बोलबाला है और उनकी बीट और पंखों की धूल ने उन्हें इतना बीमार कर दिया है।
हेमाली शाह ने बताया कि उनके परिवार ने 2012 में बोरीवली में नया घर लिया और वे वहां शिफ्ट हो गए थे। तब से ही वह बीमारी से ग्रस्त हो गईं। उन्होंने घर में एस.सी. लगाने के लिए बनाए गए तक्खे की सफाई करवाई क्योंकि वहां कबूतरों की बीट और गंदगी भरी हुई थी। 2012 में तक्खे की सफाई के दौरान हेमाली के सांस के साथ कबूतरों की बीट और पंखों की धूल जो उनके अंदर चली गई थी, उसने अब जाकर अपना असर दिखाया और उनको गंभीर इन्फैक्शन हो गया। हालत बिगड़ने पर 20 सितंबर 2019 में उनका लंग ट्रांसप्लांट किया गया। ब्रीच कैंडी की रहने वाली महिला की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।