Edited By Naresh Kumar,Updated: 02 Nov, 2018 10:46 AM
एक तरफ दिल्ली सहित पूरा उत्तर भारत प्रदूषण की मार से बचने के तरीके खोज रहा है तो वहीं दूसरी तरफ देश के 3 राज्यों में हो रहे विधानसभा के चुनाव में प्रदूषण मुद्दा नहीं बन पाया है। इनमें से राजस्थान तो दिल्ली के बेहद करीब है
जालंधर(नरेश कुमार): एक तरफ दिल्ली सहित पूरा उत्तर भारत प्रदूषण की मार से बचने के तरीके खोज रहा है तो वहीं दूसरी तरफ देश के 3 राज्यों में हो रहे विधानसभा के चुनाव में प्रदूषण मुद्दा नहीं बन पाया है। इनमें से राजस्थान तो दिल्ली के बेहद करीब है और इस राज्य के 4 शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में दुनिया के 4 सबसे प्रदूषित शहरों का दर्जा हासिल कर चुके हैं। इसके बावजूद राजस्थान की चुनावी फिजा में अब तक पर्यावरण की कहीं चर्चा नहीं है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक इन 3 राज्यों की आबादी 16.66 करोड़ है और यदि इस पर प्रति वर्ष अढ़ाई फीसदी की दर से ग्रोथ हुई हो तो तीनों राज्यों की आबादी आज 20 करोड़ के करीब होगी। इन 3 राज्यों में विधानसभा की कुल 520 सीटें हैं लेकिन कोई भी उम्मीदवार या पार्टी अपने स्तर पर पर्यावरण को मुद्दा नहीं बना रही है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र में बिगड़ी आबो-हवा को अहमियत नहीं दी गई थी।
यह केंद्रीय विषय है और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन देश भर में प्रदूषण से निपटने के लिए कार्य योजना पर काम कर रहे हैं। हालांकि पार्टी स्तर पर भी यह मुद्दा उठाया जाएगा और इस मुद्दे को 3 राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल करवाया जाएगा।
(तरुण चुघ, महासचिव, भारतीय जनता पार्टी)
तीनों राज्यों में पर्यावरण में सुधार का मुद्दा कांग्रेस के मैनीफैस्टो में शामिल किया जाएगा। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कार्य योजना के तहत निर्माण गतिविधियों पर नियमों के अलावा ग्रीन कवर बढ़ाने और हवा की गुणवत्ता में सुधार के अन्य उपाय अपनाए जाएंगे। इसके अलावा अवैध माइनिंग से होने वाले नदियों के नुक्सान और जंगलों की अवैध कटाई से पर्यावरण को होने वाले नुक्सान पर भी नियंत्रण करने के उपाय किए जाएंगे।
(संदीप दीक्षित प्रवक्ता कांग्रेस)