बंगाल: राजनीतिक हिंसा जीत का पुराना रास्ता, पिछले चुनाव में गई थी 20 की जान...हजारों हुए थे घायल

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Mar, 2021 02:03 PM

20 people lost their lives during the last elections in bengal

पश्चिम बंगाल विधानसभा के आठ चरणों में होने वाले चुनाव के बीच आई एक पुस्तक में दावा किया है कि राज्य में चुनाव के दौरान राजनीतिक हिंसा जीत का पुराना रास्ता बन गया है और 2016 के चुनाव में भी बड़े पैमाने पर खून खराबे के कारण ही तृणमूल कांग्रेस की सीटें...

नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल विधानसभा के आठ चरणों में होने वाले चुनाव के बीच आई एक पुस्तक में दावा किया है कि राज्य में चुनाव के दौरान राजनीतिक हिंसा जीत का पुराना रास्ता बन गया है और 2016 के चुनाव में भी बड़े पैमाने पर खून खराबे के कारण ही तृणमूल कांग्रेस की सीटें बढ़ी थी। वरिष्ठ पत्रकार और नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) क अध्यक्ष रास बिहारी ने अपनी पुस्तक ‘‘रक्तांचल- बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति'' में इसे तथ्यों के साथ स्थापित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से 8 चरणों वाला चुनाव शुरू हो रहा है और इसी के साथ राजनीतिक हिंसा भी बढ़ने की खबरें आ रही हैं। हालांकि सुरक्षा पुख्ता इंतजाम करने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की 800 कंपनियों को बुलाया गया है। पर हिंसा के चरित्र को समझने के लिए साल 2016 के विधानसभा चुनाव को भी पलट कर देखना होगा। 

 

पिछले चुनावों पर एक नजर
रासबिहारी के अनुसार 2016 में छह चरणों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भारी हिंसा हुई थी। 4 मार्च को चुनाव घोषित होने के बाद 19 मई को मतगणना होने तक 20 लोग चुनावी रंजिश में मारे गए थे और हजारों घायल हुए थे। मतदान केंद्रों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने जमकर उत्पात मचाया था। उन्होंने पुस्तक में ‘‘पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2016- हिंसा भी बढ़ी और तृणमूल की सीटें भी'' अध्याय में चुनावी हिंसा का विस्तृत रूप से उल्लेख किया और कहा कि जितनी हिंसा बढ़ी उसी अनुपात में तृणमूल कांग्रेस की सीटें भी बढ़ीं। चुनाव आयोग ने 2016 में केंद्रीय सुरक्षा बलों की 650 कंपनियों को तैनाती में 4 मार्च 2016 को छह चरणों 4 व 11 अप्रैल, 17 अप्रैल, 21 अप्रैल, 25 अप्रैल, 16 अप्रैल और 19 अप्रैल को मतदान कराने की घोषणा की। पहले चरण को दो हिस्सों में बांटा गया था। मतगणना 19 मई को कराई गई थी।

 

साल 2016 में भी चुनाव आयोग से नाराज थी ममता
पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि 2016 में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा में 52 लोग मारे गए थे। राज्य में पहले से ही जारी राजनीतिक खूनखराबा 4 मार्च 2016 को चुनाव की घोषणा के साथ ही तेजी से बढ़ गया। हैरानी की बात यह है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार राजनीतिक हिंसा में 36 लोग मारे गए और पश्चिम बंगाल सरकार ने केवल एक व्यक्ति की मौत राजनीतिक कारणों से नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो में दर्ज कराई थी। 2011 में विधानसभा चुनाव कई चरणों और केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती में कराने की मांग करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सुर 2016 के विधानसभा चुनाव में पूरी तरह बदल गए थे। पुस्तक में बताया गया है कि उस समय मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने छह चरणों में चुनाव कराने पर चुनाव आयोग पर भेदभाव करने का आरोप लगाया था। तृणमूल कांग्रेस के अलावा सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के छह चरणों में मतदान कराने की घोषणा का स्वागत किया था। बनर्जी ने हाथ, हथौड़ी व पद्दो-बांग्लार मानुष कोरेबे जब्दो (हाथ, हथौड़ी और कमल को बंगाल की जनता नकार देगी) नारा देते हुए कहा था कि राजनीतिक साजिशों का मुकाबला किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग चाहे तो 294 सीटों पर 294 दिनों में चुनाव करा सकता है। पुस्तक में यह भी बताया गया है कि राज्य प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों के कारण केंद्रीय सुरक्षा बलों का सही तरीके से उपयोग नहीं किया।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!