Edited By Rahul Rana,Updated: 09 Dec, 2024 11:45 AM
दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन का असर अब तेजी से दिखाई देने लगा है। यूरोप की जलवायु परिवर्तन एजेंसी "कॉपरनिकस" ने एक डराने वाला अनुमान जारी किया है। एजेंसी का कहना है कि 2024 का साल इतिहास का सबसे गर्म साल बनने जा रहा है। एजेंसी के मुताबिक यह लगभग तय...
नॅशनल डेस्क। दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन का असर अब तेजी से दिखाई देने लगा है। यूरोप की जलवायु परिवर्तन एजेंसी "कॉपरनिकस" ने एक डराने वाला अनुमान जारी किया है। एजेंसी का कहना है कि 2024 का साल इतिहास का सबसे गर्म साल बनने जा रहा है। एजेंसी के मुताबिक यह लगभग तय है कि 2024 का साल रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा गर्म होगा।
1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान
कॉपरनिकस एजेंसी के वैज्ञानिकों के अनुसार 2024 का औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल (Industrial Revolution से पहले) के तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा। यह पहली बार होगा जब औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ेगा। इस 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि को जलवायु परिवर्तन के प्रमुख संकेत के रूप में देखा जा रहा है जो वैश्विक तापमान में बदलाव को दर्शाता है।
नवंबर 2023 और 2024 की गर्मी
कॉपरनिकस एजेंसी ने यह भी बताया कि नवंबर 2023 का महीना अब तक का सबसे गर्म नवंबर था। इस बार नवंबर में सतह पर हवा का औसत तापमान 14.10 डिग्री सेल्सियस रहा जो 1991 से 2020 के औसत तापमान से 0.73 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। इसके अलावा नवंबर 2024 में भी गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए इतिहास का दूसरा सबसे गर्म नवंबर दर्ज किया।
ग्लोबल वार्मिंग का असर
नवंबर 2024 में औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.62 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। यह एक और डराने वाली बात है क्योंकि यह लगातार 17वें महीने का रिकॉर्ड है जब औसत वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा है।
भारत में भी गर्मी का असर
भारत में भी इस गर्मी का असर साफ दिख रहा है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार 1901 के बाद से भारत के लिए नवंबर 2024 दूसरा सबसे गर्म नवंबर रहा है। इस दौरान औसत अधिकतम तापमान 29.37 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 0.62 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
2024 में तापमान का रिकॉर्ड
कॉपरनिकस एजेंसी ने कहा है कि जनवरी से लेकर नवंबर तक का औसत वैश्विक तापमान 1991-2020 के औसत तापमान से 0.72 डिग्री सेल्सियस अधिक था। वहीं 2023 की तुलना में इस साल के तापमान में 0.14 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार करना
कॉपरनिकस एजेंसी के वैज्ञानिकों का कहना है कि 2023 का औसत तापमान 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक था और 2024 में यह बढ़कर 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है। यह सीमा पार करना जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव और मानव गतिविधियों के कारण बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग का स्पष्ट संकेत है।
बता दें कि यह आंकड़े और चेतावनियां दुनियाभर के लिए एक गंभीर संकेत हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए अब तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। अगर इन परिवर्तनों को नियंत्रित नहीं किया गया तो भविष्य में और भी भयंकर गर्मी, बर्फबारी में कमी और समुद्र स्तर के बढ़ने जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
इसलिए यह समय है कि हम सभी मिलकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ और अधिक ठोस कदम उठाएं ताकि हम अपनी और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्थिर पर्यावरण सुनिश्चित कर सकें।