सिंगूर अनशन के 26 दिन : ममता ने कहा, ‘‘लड़ने की वो क्षमता मेरे अंदर अब भी जिंदा है''

Edited By Pardeep,Updated: 04 Dec, 2022 10:39 PM

26 days of singur fast mamta said that ability to fight is still alive in me

सिंगूर में एक कार फैक्ट्री के लिए किसानों की जमीन के ‘जबरदस्ती अधिग्रहण' का विरोध करने के लिए 16 साल पहले आज के दिन ही शुरू हुई अपनी 26 दिन की भूख हड़ताल को याद करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को दावा किया कि उनके अंदर अब...

कोलकाताः सिंगूर में एक कार फैक्ट्री के लिए किसानों की जमीन के ‘जबरदस्ती अधिग्रहण' का विरोध करने के लिए 16 साल पहले आज के दिन ही शुरू हुई अपनी 26 दिन की भूख हड़ताल को याद करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को दावा किया कि उनके अंदर अब भी उतना जुझारूपन है। 

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने एक ट्वीट में यह भी कहा कि अगर लोगों के अधिकारों पर खतरा पैदा होता है तो वह कभी चुप नहीं बैठेंगी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘16 साल पहले आज के ही दिन, मैंने सिंगूर और बाकी देश के किसानों के लिए भूख हड़ताल शुरू की थी। शक्तिशाली लोगों के लालच के कारण असहाय रह गए लोगों के लिए लड़ना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है। यह लड़ने की क्षमता मेरी अंदर अब भी जिंदा है।'' हुगली जिले का सिंगूर सबसे पहले 2006 में नैनो कार फैक्ट्री के लिए टाटा मोटर्स द्वारा चुने जाने के बाद खबरों में आया था। 

तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर 997.11 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था और संयंत्र की स्थापना के लिए उसे कंपनी को सौंपा था। बनर्जी ने ‘‘जबरन'' अधिग्रहीत की गई 347 एकड़ जमीन किसानों को लौटाने की मांग को लेकर उसी साल चार दिसंबर को भूख हड़ताल शुरू की थी। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एक पत्र मिलने के बाद 29 दिसंबर को अनशन समाप्त किया था। हालांकि आंदोलन जारी रहा और टाटा मोटर्स को 2008 में सिंगूर से जाना पड़ा। 

बनर्जी के रविवार के ट्वीट के बाद उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने उन्हें राज्य में कोई बड़ा उद्योग नहीं लग पाने के लिए जिम्मेदार ठहराया। वरिष्ठ भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने दावा किया कि बनर्जी का आंदोलन न केवल सिंगूर की जनता के लिहाज से बड़ी भूल थी, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘अगर टाटा ने यहां कारखाना शुरू किया होता तो राज्य की पूरी तस्वीर बदल जाती। लाखों लोगों को रोजगार मिलता। टाटा के जाने के बाद, अब किसी औद्योगिक घराने ने यहां निवेश नहीं किया।'' 

माकपा के राज्यसभा सदस्य बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘एक बार उन्होंने माकपा को टाटा के सिंगूर से जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। आज वह यह कह रही हैं। वह बमुश्किल ही सच बोलती हैं।'' बनर्जी ने इस साल अक्टूबर में सिलीगुड़ी में एक रैली में कहा था कि उन्होंने जबरन अधिग्रहीत जमीन जनता को लौटाई थी। उन्होंने दावा किया था कि टाटा मोटर्स को राज्य से जाने पर माकपा ने मजबूर किया था, उन्होंने नहीं। 

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