Edited By Anu Malhotra,Updated: 20 Sep, 2024 02:06 PM
अर्न्स्ट एंड यंग (EY) में चार महीने की नौकरी के बाद 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की कथित तौर पर काम के अत्यधिक दबाव के कारण मौत हो गई। यह मामला तब सामने आया जब अन्ना की मां अनीता ऑगस्टिन ने कंपनी के खिलाफ अपनी बेटी की...
नेशनल डेस्क: अर्न्स्ट एंड यंग (EY) में चार महीने की नौकरी के बाद 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की कथित तौर पर काम के अत्यधिक दबाव के कारण मौत हो गई। यह मामला तब सामने आया जब अन्ना की मां अनीता ऑगस्टिन ने कंपनी के खिलाफ अपनी बेटी की मृत्यु के लिए काम के तनाव को जिम्मेदार ठहराते हुए एक पत्र लिखा, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। पत्र में अनीता ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी अत्यधिक वर्कलोड के कारण मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो चुकी थी।
श्रम मंत्रालय ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं। यह घटना EY, डेलोइट, PwC और KPMG जैसी प्रमुख वैश्विक फर्मों की कथित शोषणकारी कार्य संस्कृति पर सवाल उठाती है।
मां का पत्र और वर्कलोड के आरोप
अनीता ऑगस्टिन ने अपनी बेटी की मौत के बाद EY इंडिया के अध्यक्ष राजीव मेमानी को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया कि उनकी बेटी को अत्यधिक काम करने के लिए मजबूर किया गया। अन्ना को सोने तक का समय नहीं मिल पाता था, और उसे वीकेंड पर भी काम करना पड़ता था। उन्होंने कहा कि अन्ना इतनी थक चुकी थी कि वह कई बार बिना कपड़े बदले ही बिस्तर पर गिर जाती थी। उनके मैनेजर लगातार फोन करते थे और अतिरिक्त कार्य सौंपते थे।
EY के अध्यक्ष की प्रतिक्रिया
अन्ना की मौत पर EY इंडिया के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना कंपनी की संस्कृति से बिलकुल विपरीत है। उन्होंने कहा कि अन्ना मार्च 2024 में कंपनी की ऑडिट और एश्योरेंस टीम में शामिल हुई थी और चार महीने बाद उसकी मृत्यु हो गई। मेमानी ने यह भी आश्वासन दिया कि कंपनी कार्यस्थल के सुधार के लिए प्रतिबद्ध है।
पूर्व कर्मचारियों के भयावह अनुभव
मेमानी के लिंक्डइन पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए EY के एक पूर्व कर्मचारी ने कंपनी के साथ अपने “भयानक” अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उन्हें प्रतिदिन 17-18 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया गया, और जब उन्होंने HR से शिकायत की, तो कोई समाधान नहीं निकला। एक अन्य कर्मचारी ने कहा कि अफ्रीका में 6 महीने का ऑनसाइट अनुभव बेहद कष्टदायक था, जहां उन्हें हर दिन 10 घंटे काम करना पड़ता था, जिसमें वीकेंड भी शामिल थे। उन्होंने हिंदू त्योहारों के दौरान भी मीटिंग आयोजित करने की शिकायत की।
इस मामले ने कार्यस्थल की संस्कृति और कर्मचारियों की भलाई पर एक गंभीर बहस छेड़ दी है, और श्रम मंत्रालय द्वारा मामले की जांच चल रही है।