Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Jul, 2019 10:58 AM
काबिलियत किसी पहचान की मोहताज नहीं होती। कुछ ऐसा ही कारनामा साल 2018 में 17 साल के दिव्यांग गणेश ने कर दिखाया था। उन्होंने नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रैंस टैस्ट (नीट) परीक्षा में 223 अंक हासिल कर साबित कर दिया था
गांधीनगर: काबिलियत किसी पहचान की मोहताज नहीं होती। कुछ ऐसा ही कारनामा साल 2018 में 17 साल के दिव्यांग गणेश ने कर दिखाया था। उन्होंने नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रैंस टैस्ट (नीट) परीक्षा में 223 अंक हासिल कर साबित कर दिया था कि उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। हालांकि जैसा उन्होंने सोचा वैसा बिल्कुल भी नहीं हुआ। नीट परीक्षा में बेहतरीन अंक हासिल करने के बावजूद उन्हें मैडीकल कॉलेज में दाखिला नहीं दिया गया। वजह थी उनकी हाइट। साल 2018 में उनकी उम्र 17 साल थी और उनकी हाइट मात्र 3 फीट जबकि वजन 14 किलोग्राम था।
गुजरात के भावनगर का रहने वाला गणेश का सपना डॉक्टर बनकर मरीजों की सेवा करना था लेकिन उसको तब झटका लगा जब उसकी छोटी हाइट और दिव्यांगता के कारण राज्य सरकार ने उसे एमबीबीएस में दाखिला देने से मना कर दिया।
हालांकि गणेश ने हार नहीं मानी और कानूनी लड़ाई लड़ी। वह सबसे पहले हाई कोर्ट गया पर, वहां भी उसे झटका लगा। इसके बाद गणेश ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी लड़ाई लड़ी। अब सुप्रीम कोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया और उसके डॉक्टर बनने के सपने को फिर पंख मिल गए।