चंद्रयान-2 मिशन टीम में 30 फीसदी महिलाएं, जानिए इसरो की महिला वैज्ञानिकों को

Edited By Yaspal,Updated: 12 Jun, 2019 11:26 PM

30 percent of women in the chandrayaan 2 mission team

चंद्रमा की सतह पर खनिजों के अध्ययन और वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए भारत के दूसरे चंद्र अभियान, ‘चंद्रयान-2'' को 15 जुलाई को रवाना किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख के. सिवन ने बुधवार को यह घोषणा की...

नई दिल्लीः चंद्रमा की सतह पर खनिजों के अध्ययन और वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए भारत के दूसरे चंद्र अभियान, ‘चंद्रयान-2' को 15 जुलाई को रवाना किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख के. सिवन ने बुधवार को यह घोषणा की। सिवन ने यहां संवाददाताओं को बताया कि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास छह या सात सितंबर को उतरेगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. के सिवन ने कहा कि इसरो में हम पुरुष और महिला वैज्ञानिकों में अंतर नहीं समझते। यहां लिंगभेद नहीं है। जो भी सक्षम होता है उसे बेहतरीन काम करने का मौका मिलता है। डॉ. के सिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 में वैसे तो इसरो की पूरी टीम काम कर रही है लेकिन इसमें 30 फीसदी महिला वैज्ञानिक हैं।

इसरो के कई मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने में महिला शक्ति का बड़ा योगदान रहा है। चंद्रयान-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम वनिता हैं। इसरो में इस स्तर का काम करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक बतौर डिजाइन इंजीनियर इसरो में आने वाली एम वनिता को 2006 में बेस्ट वुमन सांइटिस्ट का अवॉर्ड मिल चुका है। इनके साथ ही काम कर रही हैं अनुराधा टीके इसरो की वरिष्ठतम वैज्ञानिक अनुराधा टीके संचार उपग्रहों और नाविक इंस्टॉलेशन की विशेषज्ञ हैं। इसके पहले इसरो ने वीआर ललितांबिका को मानव मिशन गगनयान का डायरेक्टर बनाया था।

जानते हैं इसरो की महिला वैज्ञानिको के बारे में
रितु करढाल -
 इसरो के कई प्रोजेक्ट्स में शामिल रितु दो बच्चों की मां हैं। वे ज्यादातर सप्ताहांत इसरो में रहती हैं। जब छोटी थीं, तब उन्हें समझ नहीं आता था कि चंद्रमा बड़ा और छोटा कैसे होता है। इसरो में सबसे बड़ा प्रोजेक्ट था मंगलयान। वे इस मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रही हैं।

मौमिता दत्ता - मौमिता ने बचपन में चंद्रयान मिशन के बारे में पढ़ा था। वे मंगलयान मिशन में प्रोजेक्ट मैनेजर रही हैं। उन्होंने कोलकाता यूनिवर्सिटी से प्रायोगिक भौतिक विज्ञान में एमटेक किया है। वे मेक इन इंडिया का हिस्सा बनकर प्रकाश विज्ञान के क्षेत्र में इसरो की टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

नंदिनी हरिनाथ - नंदिनी हरिनाथ ने अपनी पहली नौकरी इसरो से ही शुरू की है। 20 साल का अनुभव है। स्टार ट्रैक फिल्म सीरिज देखने के बाद विज्ञान पढ़ने लगी। आज इसरो में डि‍प्टी डायरेक्टर है। वे आज भी बेहद परिश्रम करती हैं। लॉन्चिंग से पहले अक्सर कई दिनों तक घर नहीं जातीं।

एन वलारमथी - भारत के पहले देशज रडार इमेजिंग उपग्रह, रीसैट-1 की लॉन्चिंग में एन वलारमथी का बड़ा हाथ है। टीके अनुराधा के बाद वे इसरो के उपग्रह मिशन की प्रमुख बनने वाली दूसरी महिला अधिकारी हैं। एन वलारमथी ऐसी पहली महिला हैं जो रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट में प्रयुक्त मिशन की प्रमुख हैं।

मीनल संपथ - मंगलयान के लिए दिन में 18 घंटे काम करने वाली मीनल संपथ, इसरो की सिस्टम इंजीनियर के तौर पर 500 वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। पिछले 2-3 सालों से तो उन्होंने रविवार और शासकीय अवकाशों को लिया ही नहीं।

कीर्ति फौजदार - कीर्ति फौजदार इसरो की युवा कम्प्यूटर वैज्ञानिक हैं। इनका काम है उपग्रह को उनकी सही कक्षा में स्थापित करना। वे उस टीम का हिस्सा हैं, जो उपग्रहों एवं अन्य मिशन पर लगातार अपनी नजर बनाए रखती हैं. कुछ भी गलत न हो इस पर ध्यान रखती हैं।

टेसी थॉमस - टेसी भारत की मिसाइल महिला हैं जिन्होंने अग्नि-4 व अग्नि-5 मिशन में प्रमुख सहभागिता दी। टेसी थॉमस इसरो और डीआरडीओ दोनों के लिए काम करती हैं।

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