करगिल युद्ध के दौरान भारत को बेचा गया 30 साल पुराना बारूद

Edited By Yaspal,Updated: 14 Dec, 2019 06:55 PM

30 year old gunpowder sold to india during kargil war

पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक ने करगिल युद्ध की यादों को ताजा करते हुए कहा कि युद्ध के समय कई देशों ने भारत को पुराने गोला-बारूद की सप्लाई की थी। उन्होंने कहा कि एक देश ने सैटेलाइट इमेज के बदले मोटी रकम ली। लेकिन उसने जो

नेशनल डेस्कः पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक ने करगिल युद्ध की यादों को ताजा करते हुए कहा कि युद्ध के समय कई देशों ने भारत को पुराने गोला-बारूद की सप्लाई की थी। उन्होंने कहा कि एक देश ने सैटेलाइट इमेज के बदले मोटी रकम ली। लेकिन उसने जो सैटेलाइट इमेज दी थी, वो तीन साल पुरानी थी। पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक ने करगिल युद्ध के समय सेना की अगुवाई की थी। उन्हीं के नेतृत्व में सेना ने करगिल से पाकिस्तानी घुसपैठियों का सफाया किया था।

चंडीगढ़ में आयोजित "मेक इन इंडिया एंड नेशन्स सिक्युरिटी" कार्यक्रम में पूर्व आर्मी चीफ वीपी मलिक ने बताया कि करगिल युद्ध के दौरान एक अहम सबक जो हमने सीखा वो ये था कि रक्षा के क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' और देश को आत्म निर्भर बनाना बहुत जरूरी है। वीपी मलिक ने कहा कि जबतक रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं बनते हैं, हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में रहेगी।

करगिल युद्ध के समय के वाकये को याद करते हुए वीपी मलिक ने कहा कि उस दौरान हमने जहां कहीं से भी हथियार या गोला बारूद खरीदने की कोशिश की, सभी कंपनियों ने चाहे वो हमारे मित्र देश के हों या फिर किसी और देश के उन्होंने हमारा फायदा उठाने की कोशिश की।
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मलिक ने कहा कि भारत ने दक्षिण अफ्रीका से डेनेल गन खरीदने की कोशिश की, पहले तो उन्होंने कहा कि वे हथियार देने के लिए तैयार हैं। लेकिन बाद में जब उनसे डिलीवरी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि उनके पास नये हथियार नहीं हैं और वे भारत को पुराने हथियार ही सप्लाई करेंगे।

एक और उदाहरण देते हुए उन्होंने कि हमारे पास गोला-बारूद नहीं थे। हम एक जाने-पहचाने देश के पास गए, उन्होंने हमें जो गोला-बारूद दिया वे 70 के दशक के बने थे। उन्होंने जो गोला-बारूद सप्लाई किया, उसमें आधे गोले-बारूद ऐसे ही थे, हालांकि, उन्होंने उस देश का नाम बताने से इनकार किया।

तीसरा वाकया बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें सैटेलाइट इमेज की जरूरत थी। सैटेलाइट इमेज के हर फ्रेम की कीमत 36 हजार रुपये थी। जब वो फ्रेम हमारे पास आए और उन्हें हमने देखा तो पता चला कि वो 3 साल पुराने थे और उसका हमारे लिए कोई इस्तेमाल नहीं था।

वीपी मलिक ने कहा कि इन वाकयों को देखते हुए करगिल युद्ध के तुरंत बाद मैने कहा था कि सेना को किसी भी हालत में विदेशी सैन्य मदद के सहारे नहीं रहना चाहिए। वीपी मलिक ने डिफेंस सेक्टर में निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों को भी जगह देने की पैरवी की। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की कंपनियां आएंगी तो रक्षा क्षेत्र का तेजी से विकास होगा।

 

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