Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Jun, 2019 09:16 AM
यह कोई नई बात नहीं है कि ज्यादातर घरों में बुजुर्गों को बोझ की तरह देखा जाता है और अब हाल के एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि देखरेख करने वाले 35 फीसदी लोगों को बुजुर्गों की सेवा करने में खुशी महसूस नहीं होती।
नई दिल्ली: यह कोई नई बात नहीं है कि ज्यादातर घरों में बुजुर्गों को बोझ की तरह देखा जाता है और अब हाल के एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि देखरेख करने वाले 35 फीसदी लोगों को बुजुर्गों की सेवा करने में खुशी महसूस नहीं होती। परोपकारी संगठन हैल्पएज इंडिया की रिपोर्ट ‘भारत में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार: देखरेख करने में परिवार की भूमिका: चुनौतियां और प्रतिक्रिया’ शुक्रवार को ‘विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस’ की पूर्व संध्या पर जारी हुई। इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले करीब एक-तिहाई लोग यह स्वीकार करते हैं कि वह अपने बुजुर्गों को घर में रखने की बजाय वृद्धाश्रम में रखना चाहेंगे।
इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले लोगों में से एक चौथाई देखरेख करने वालों का मानना है कि उन्हें निराशा और कुंठा होती है और इस वजह से वह परिवार के बुजुर्ग सदस्यों पर गुस्सा कर बैठते हैं। सर्वेक्षण में कुल 2090 देखरेख करने वाले (पुत्र, बहू, बेटी और दामाद) शामिल थे। बुजुर्गों की सेवा को खुद पर बोझ समझने के बाद भी 32 फीसदी लोगों ने बुजुर्गों को उनकी दिनचर्या में मदद कर अपना फर्ज निभाया।