मोदी सरकार के 4 साल: कामकाज के मामले में ये केंद्रीय मंत्री रहे फिसड्डी

Edited By Seema Sharma,Updated: 25 May, 2018 01:57 PM

4 years of modi government union minister was littered

मोदी सरकार को 26 मई को पूरे चार साल होने जा रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्रियों का जनता के बीच कैसा प्रभाव रहा और उनके कामकाज के परखने का यह मौका है। एबीपी न्यूज ने इन मंत्रियों के कामकाज को परखा और कई मंत्रियों का प्रदर्शन फिसड्डी साबित हुआ।

नेशनल डेस्कः मोदी सरकार को 26 मई को पूरे चार साल होने जा रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्रियों का जनता के बीच कैसा प्रभाव रहा और उनके कामकाज के परखने का यह मौका है। एबीपी न्यूज ने इन मंत्रियों के कामकाज को परखा और कई मंत्रियों का प्रदर्शन फिसड्डी साबित हुआ।

जानिए जनता ने इन मंत्रियों को 10 में से कितने नंबर दिए हैं।

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उमा भारती  (3.27/10)
उमा भारती से हाल ही में गंगा मंत्रालय वापिस लिया गया है। जिसके बाद चर्चा थी कि उनके काम से पीएम नरेंद्र मोदी संतुष्ट नहीं है लेकिन उमा ने इन अफवाहों को खारिज किया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद इस मंत्रालय को वापस लेने की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से गुजारिश की थी। उमा केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।

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गिरिराज सिंह (3.39/10)
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री गिरिराज सिंह का नाम अक्सर विवादित बयानों और टिप्पणियों को लेकर सुर्खियां में रहता है। हाल ही में उन्होंने दिल्ली के आर्कबिशप द्वारा खत लिखकर सभी पादरियों से वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 'देश के लिए प्रार्थना' करने के आग्रह के मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यदि चर्च लोगों से प्रार्थना करने के लिए कहता है ताकि मोदी की सरकार न बने तो देश को सोचना होगा कि दूसरे धर्म के लोग भी 'कीर्तन-पूजा' करेंगे। इससे पहले ही वे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर भी कई बार कह चुके हैं कि मंदिर यही बनेगा।

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स्मृति ईरानी (3.87/10)
स्मृति ईरानी को अपने विवादित बयानों के कारण कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। मंत्री बनने के बाद से लगातार उनका किसी न किसी विवाद में नाम आता रहता है। हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज (फर्जी खबरों) पर अंकुश लगाने के उपायों के तहत बयान जारी कर कहा था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबरें करता हुआ या इनका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है तो उसकी मान्यता स्थायी रूप से रद्द की जा सकती है। जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय(पीएमओ) ने स्मृति ईरानी के फैसला पलटते हुए कहा था कि इसे पूरी तरह प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के ऊपर छोड़ देना चाहिए। पीएमओ के इस फैसले से स्मृति ईरानी पर सवाल खड़े होने लगे थे।

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अल्फोंस कन्नथानम (3.94/10)
पर्यटन राज्यमंत्री अल्फोंस कन्नथानम ने बीफ पर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि केरल में बीफ बैन नहीं होगा क्योंकि भारत में कोई फूड इमरजेंसी नहीं लगी हुई है। हालांकि अल्फोंस ज्यादातर विवादों से दूर रहते हैं लेकिन वे अपना काम से लोगों को खुश नहीं कर पाए।

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संतोष गंगवार (4/10)
श्रम और रोजगार राज्यमंत्री संतोष गंगवार के कामकाज से जनता ज्यादा संतुष्ट नहीं है खासकर युवा। श्रम मंत्री युवाओं के लिए इन चार सालों में अभी तक नौकरियों के द्वार नहीं खोल पाए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लगाई गई इमरजेंसी के दौरान वे जेल भी जा चुके हैं। 13वीं लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी सरकार में वे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री के साथ-साथ संसदीय कार्य राज्य मंत्री का पदभार भी संभाल चुके हैं। इसके अलावा वह विज्ञान एवं तकनीकि राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।

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