अगले महीने फ्रांस से आ रहे 5 और राफेल, चीनी J-20 के बनेंगे 'काल'

Edited By Pardeep,Updated: 12 Sep, 2020 05:55 AM

5 more rafale coming from france next month

चीन से तनाव के बीच भारतीय वायुसेना की सामरिक ताकत और बढ़ने जा रही है। अगले महीने यानी अक्टूबर में 5 और राफेल विमान भारत पहुंच रहे हैं। इन विमानों को पश्चिम बंगाल में स्थित कलईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया ...

पेरिसः चीन से तनाव के बीच भारतीय वायुसेना की सामरिक ताकत और बढ़ने जा रही है। अगले महीने यानी अक्टूबर में 5 और राफेल विमान भारत पहुंच रहे हैं। इन विमानों को पश्चिम बंगाल में स्थित कलईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा। जो चीन से लगती पूर्वी सीमा की रखवाली करेंगे। इधर, राफेल विमानों के पहले बैच को बीते गुरुवार को भारतीय वायुसेना में आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया गया। 
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चीन के जे-20 पर भारी पड़ेगा राफेल
भारतीय राफेल के मुकाबले में चीन का चेंगदू J-20 और पाकिस्‍तान का JF-17 लड़ाकू विमान हैं। मगर ये दोनों ही राफेल के मुकाबले थोड़ा कमतर हैं। चीनी J-20 का मेन रोल स्‍टील्‍थ फाइटर का है, वहीं राफेल को कई कामों में लगाया जा सकता है। J-20 की बेसिक रेंज 1,200 किलोमीटर है जिसे 2,700 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। J-20 की लंबाई 20.3 मीटर से 20.5 मीटर के बीच होती है। इसकी ऊंचाई 4.45 मीटर और विंगस्‍पैन 12.88-13.50 मीटर के बीच है यानी यह राफेल से खासा बड़ा है। पाकिस्‍तान के पास मौजूद JF-17 में चीन ने PF-15 मिसाइलें जोड़ी हैं मगर फिर भी यह राफेल के मुकाबले में कमजोर है। 

अगले साल के अंत तक भारत आ जाएंगे सभी राफेल
भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए सौदा किया था। 36 राफेल विमानों में से 30 लड़ाकू विमान होंगे और छह प्रशिक्षण विमान। प्रशिक्षण विमानों में दो सीट होंगी और उनमें लड़ाकू विमान वाली लगभग सभी विशेषताएं होंगी। राफेल विमान, रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद 23 वर्षों में लड़ाकू विमानों की भारत की पहली बड़ी खरीद है। 

घातक हथियारों से लैस हैं ये राफेल
भारत में जो राफेल आए हैं, उनके साथ Meteor बियांड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, MICA मल्‍टी मिशन एयर-टू-एयर मिसाइल और SCALP डीप-स्‍ट्राइक क्रूज मिसाइल्‍स लगी हैं। इससे भारतीय वायुसेना के जांबाजों को हवा और जमीन पर टारगेट्स को उड़ाने की जबर्दस्‍त क्षमता हासिल हो चुकी है। Meteor मिसाइलें नो-एस्‍केप जोन के साथ आती हैं यानी इनसे बचा नहीं जा सकता। यह फिलहाल मौजूद मीडियम रेंज की एयर-टू-एयर मिसाइलों से तीन गुना ज्‍यादा ताकतवर हैं। इस मिसाइल सिस्‍टम के साथ एक खास रॉकेट मोटर लगा है जो इसे 120 किलोमीटर की रेंज देता है।

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