58 पुराने कानूनों को खत्म करने वाले विधेयक को संसद से मिली मंजूरी

Edited By Yaspal,Updated: 02 Aug, 2019 07:42 PM

58 parliament sanctions bill to end old laws

संसद ने पुराने पड़ चुके 58 अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने के प्रावधान वाले एक अहम विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी प्रदान कर दी। इन कानूनों में कुछ कानून डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुराने हैं। राज्यसभा ने निरसन और संशोधन विधेयक...

नई दिल्लीः संसद ने पुराने पड़ चुके 58 अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने के प्रावधान वाले एक अहम विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी प्रदान कर दी। इन कानूनों में कुछ कानून डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुराने हैं। राज्यसभा ने निरसन और संशोधन विधेयक 2019 को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।

चर्चा में ज्यादातर सदस्यों ने इसका स्वागत किया और सुझाव दिया कि मूल विधेयक में ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि कानून का प्रयोजन समाप्त होने के बाद वह खुद ही समाप्त हो जाए। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक की चर्चा करते हुए कहा कि इस विधेयक के जरिए पुराने पड़ चुके कानूनों को समाप्त किया जा रहा है, जिनकी प्रासंगिकता खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा कि ऐसे कानूनों की समीक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद सरकार ने फैसला किया था कि अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को समाप्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए दो लोगों की समिति बनायी गयी थी। समिति ने 1824 कानूनों की पहचान की थी और अब तक 1428 कानून वापस लिए जा चुके हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि यह एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि पुराने वित्त विधेयकों को भी समाप्त किया जाना है और इसके लिए वित्त मंत्रालय से चर्चा चल रही है।

प्रसाद ने कहा कि सरकार दो प्रकार के कानूनों को समाप्त कर रही है। इनमें मूल कानून और संशोधित कानून शामिल हैं। उन्होंने कहा कि संशोधित कानून भी अपने आप समाप्त नहीं होते। उन्होंने भारतीय दंड संहिता, 1860 की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें समय समय पर जरूरी संशोधन किए गए हैं।

सिनेमेटोग्राफ कानून में संशोधन की मांग पर उन्होंने कहा कि इसके लिए फिल्म समुदाय को एक स्वर में बात करनी होगी। अभी उनमें ऐसी एकराय नहीं है। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के भूपेंद्र यादव ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि विधेयक संसद में ही आते हैं और उनमें ही ऐसा जिक्र होना चाहिए कि उनका प्रयोजन समाप्त होते ही वे स्वत: समाप्त हो जाएं।

 

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