Cancer के कारण हर साल भारत में 6 करोड़ लोग हो रहे गरीब

Edited By Seema Sharma,Updated: 01 Dec, 2019 09:28 AM

6 crore people are getting poor in india every year due to cancer

मुंबई स्थित टाटा मैमोरियल सैंटर ने हाल ही में कहा है कि भारत में हर साल कैंसर के इलाज के कारण लगभग 6 करोड़ लोग गरीबी रेखा (बी.पी.एल.) से नीचे चले जाते हैं। सैंटर ने कहा है कि घातक बीमारी से मरीजों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा है, खासकर उत्तर-पूर्वी...

नई दिल्ली: मुंबई स्थित टाटा मैमोरियल सैंटर ने हाल ही में कहा है कि भारत में हर साल कैंसर के इलाज के कारण लगभग 6 करोड़ लोग गरीबी रेखा (बी.पी.एल.) से नीचे चले जाते हैं। सैंटर ने कहा है कि घातक बीमारी से मरीजों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा है, खासकर उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोगों के लिए क्योंकि उन्हें बेहतर इलाज के लिए 2-3 दिनों की ट्रेनों से मुम्बई जाना पड़ता है।

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भयावह तस्वीर

16 लाख के करीब कैंसर के मरीज हर साल सामने आते हैं देश में 8 लाख मरीजों की हर साल हो जाती है मौत

2035 तक मरीजों की संख्या 17 लाख वार्षिक होने की संभावना

7 लाख के करीब हर साल कैंसर के नए मरीज सामने आ रहे 2/3 के करीब ही कैंसर मरीज करवा पा रहे निजी अस्पतालों में इलाज

75 हजार मरीज 6 महीनों में उपचार के लिए पहुंचे टाटा मैमोरियल सैंटर

देश में कैंसर स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति पर एक भयानक तस्वीर चित्रित करते हुए टाटा मैमोरियल सैंटर ने पैनल को सूचित किया, ‘‘वर्तमान बुनियादी ढांचा इस समस्या (कैंसर का उपचार) को सुलझा पाने में पर्याप्त नहीं है, जैसा हमने पिछले साल देखा है। टाटा मैमोरियल सैंटर के मुताबिक कैंसर के दो तिहाई मरीजों का ही इलाज प्राइवेट अस्पतालों में हो रहा है, क्योंकि इस बीमारी से लडऩे का सरकारी ढांचा नाकाफी है।

महिलाओं में पाया जाने वाला कैंसर

श्रेणी केस
ब्रैस्ट 1,40,000
सर्वाइकल 1,00,000
ओरल कैंसर 45,000

जियो टैगिंगग से पता चला है कि पिछले 6 महीने में 75 हजार मरीज टाटा मैमोरियल सैंटर पहुंचे। यह संख्या अगले साल 80 हजार तक पहुंच जाएगी। कैंसर पर शोध करने वाली अंतर्राष्ट्रीय एजैंसी ग्लोबोकैन के अनुसार भारत में कैंसर रोगी लगातार बढ़ रहे हैं। वर्तमान में हर साल 7 लाख के करीब कैंसर के नए केस सामने आ रहे हैं। देश में अगले 15 वर्षों में कैंसर के रोगियों की संख्या 16 लाख सालाना से बढ़कर 2035 में 17 लाख सालाना तक हो जाएगी।

पुरुषों में पाया जाने वाला कैंसर

श्रेणी केस
ओरल कैविटी 1,38,000
फैरिंगक्स 90,000
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक 2,00,000

कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। 2018 में 8 लाख मौतें हुईं, जो 2035 में बढ़कर 13 लाख हो जाएंगी। कैंसर के सस्ते इलाज के लिए सरकार ने संसदीय समिति को मॉडल बनाने के लिए कहा है। राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश की अध्यक्षता वाले पैनल ने हाल ही में यह रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत परमाणु ऊर्जा विभाग (डी.ए.ई.) द्वारा सहायता प्राप्त देश के 11 संस्थानों में से एक टाटा मैमोरियल सैंटर के बयानों को उद्धृत किया गया है। यह संस्थान देश में कैंसर के अनुसंधान और उपचार में लगा हुआ है।

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‘स्पोक एंड हब’
मॉडल कैंसर के बढ़ते मामलों की कुल संख्या से चिंतित, पैनल ने अब केंद्र को देश भर में कैंसर के इलाज के लिए ‘स्पोक एंड हब’ मॉडल को दोहराने का सुझाव दिया है, जिसमें इस बीमारी से निपटने के लिए राज्य और जिला स्तर पर केंद्र स्थापित किए जाएंगे। समिति को 130 स्पोक और 30 हब बनाने की सिफारिश मिली है।

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