Edited By Seema Sharma,Updated: 23 Feb, 2021 04:17 PM
: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को सेना को युद्धक टैंक अर्जुन (MK-1A) की चाबी सौंपी थी। वहीं अब 23 फरवरी (मंगलवार) को रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 6000 करोड़ रुपए की राशि की मंजूरी दे दी है। इसी के साथ अब सेना में118 उन्नत अर्जुन टैंक शामिल...
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को सेना को युद्धक टैंक अर्जुन (MK-1A) की चाबी सौंपी थी। वहीं अब 23 फरवरी (मंगलवार) को रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 6000 करोड़ रुपए की राशि की मंजूरी दे दी है। इसी के साथ अब सेना में118 उन्नत अर्जुन टैंक शामिल किए जाएंगे। रक्षा क्षेत्र के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज नरवणे की मौजूदगी में इसे मंजूरी दी गई है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के चेन्नई में स्थित युद्धक वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान द्वारा निर्मित इस अत्याधुनिक टैंक को देश में डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है।
अर्जुन टैंक की खासियत
- अर्जुन टैंक की फायर पावर क्षमता काफी है और इसमें नई टेक्नोलॉजी का ट्रांसमिशन सिस्टम है। इस सिस्टम की वजह से अर्जुन टैंक आसानी से अपने लक्ष्य को ढूंढ लेता है।
- युद्ध के मैदान में बिछाई गई माइंस हटाकर आसानी से आगे बढ़ने में सक्षम है।
- केमिकल अटैक से बचने के लिए स्पेशल सेंसर से युक्त।
- अर्जुन टैंक का फिन-स्टैब्लाइज्ड डिस्करिंग सबोट सिस्टम लड़ाई के दौरान दुश्मन टैंक की पहचान करता है और उसे नष्ट कर देता है।
118 उन्नत अर्जुन टैंक खरीदने को 2012 में मंजूरी दी गई थी और 2014 में रक्षा खरीद समिति ने इसके लिए 6600 करोड़ रुपए भी जारी कर दिए थे लेकिन इसकी फायर क्षमता समेत कई पक्षों पर सेना ने सुधार की मांग की थी। इस बीच सेना ने 2015 में रूस से 14000 करोड़ रुपए में 464 मध्यम वजन के टी-90 टैंक की खरीद का सौदा कर लिया था। सेना की मांग के आधार पर उन्नत किए जाने के बाद अर्जुन टैंक मार्क-1ए को 2020 में हरी झंडी मिली थी। भारतीय सेना के बेड़े में 124 अर्जुन टैंकों की एक रेजीमेंट पहले से ही साल 2004 में शामिल की जा चुकी है, जो पश्चिमी रेगिस्तान में तैनात है। लेकिन ये अर्जुन टैंक पुराने मॉडल के हैं, जिनमें करीब 72 तरह के सुधार की आवश्यकता भारतीय सेना ने जताई थी।
बता दें कि टैंक का पहली बार बड़े पैमाने पर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उपयोग हुआ था। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध में टैंकों का उपयोग किया था। उस समय भारत के पास सेंचुरियन टैंक थे और पाकिस्तान के पास पैटन टैंक थे।