Edited By prashar,Updated: 24 May, 2018 06:56 PM
वृद्धावस्था जिंदगी का वो पढ़ाव है जहां आकर हर इंसान को आराम की जरूरत होती है, लेकिन छतरपुर के सीताराम राजपूत ऐसे शख्स हैं, जो उस पढ़ाव पर आकर अपने और आस-पास के गांव के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं। यहां तक की उन्हें अब ‘छतरपुर के मांझी’ भी कहा जाने लगा...
छतरपुर : वृद्धावस्था जिंदगी का वो पढ़ाव है जहां आकर हर इंसान को आराम की जरूरत होती है, लेकिन छतरपुर के सीताराम राजपूत ऐसे शख्स हैं, जो उस पढ़ाव पर आकर अपने और आस-पास के गांव के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं। यहां तक की उन्हें अब ‘छतरपुर के मांझी’ भी कहा जाने लगा है।
दरअसल हदुआ गांव के लोग जब चिलचिलाती धूप में आराम कर रहे थे और पानी की समस्या के लिए सरकार के आगे गिड़गिड़ा रहे थे। तब 70 साल के सीताराम ने बिना किसी से मदद के ही गांव को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए कुंआ खोदने का फैसला लिया। क्योंकि सीताराम के गांव में पिछले ढाई साल से पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। उन्होंने ढाई साल में 33 फीट कुंए खुदाई की तो तब जाकर उनके हाथ सफलता लगी और गांव वालों की पानी की समस्या दूर हुई। करीब ढाई साल की कड़ी मेहनत के बाद कुएं से पानी निकला। जिसको देख पूरे गांव वाले खुश हैं।
छतरपुर का हदुआ गांव में पिछले ढाई साल से पानी की गंभीर समस्या है। गांव के लोग पानी को तरसते रहे और सरकार को कोसते रहे। लेकिन फिर भी सरकार ने पानी की समस्या को दूर करने के लिए कोई उपाय नहीं किया। ऐसे में 70 साल के सीताराम राजपूत ने गांव में पानी की कमी को दूर करने के लिए खुद अकेले दम पर कुआं खोदने को फैसला लिया। जब सीताराम ने कुंआ खोदने का फैसला लिया तो ग्रामीणों ने उनका साथ नहीं दिया। लेकिन जैसे ही पानी निकला तो गांव के लोगों के लिए वो प्रेरणा स्त्रोत बन चुके हैं।