Edited By Seema Sharma,Updated: 04 May, 2021 10:06 AM
कोरोना वायरस की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए गए ‘लॉकडाउन'' और अन्य पाबंदियों से 75 लाख से अधिक लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। इससे बेरोजगारी दर चार महीने के उच्च स्तर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग...
नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए गए ‘लॉकडाउन' और अन्य पाबंदियों से 75 लाख से अधिक लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। इससे बेरोजगारी दर चार महीने के उच्च स्तर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी (CMIE) ने सोमवार को यह कहा। CMIE के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) महेश व्यास ने कहा कि आने वाले समय में भी रोजगार के मोर्चे पर स्थिति चुनौतीपूर्ण बने रहने की आशंका है।
महेश व्यास ने कहा कि मार्च की तुलना में अप्रैल महीने में हमने 75 लाख नौकरियां गंवाई। इसके कारण बेरोजगारी दर बढ़ी है। केंद्र सरकार के आंकड़े के अनुसार राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 7.97 प्रतिशत पहुंच गई है। शहरी क्षेत्रों में 9.78 प्रतिशत जबकि ग्रामीण स्तर पर बेरोजगारी दर 7.13 प्रतिशत है। इससे पहले, मार्च में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.50 प्रतिशत थी और ग्रामीण तथा शहरी दोनों जगह यह दर अपेक्षाकृत कम थी।
covid-19 बढ़ने के साथ कई राज्यों ने ‘लॉकडाउन' समेत अन्य पाबंदियां लगाई हैं। इससे आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा और फलस्वरूप नौकरियां प्रभावित हुई हैं। व्यास ने कहा कि मुझे नहीं पता कि covid महामारी कब चरम पर पहुंचेगी, लेकिन रोजगार के मार्चे पर दबाव जरूर देखा जा सकता है।'' हालांकि, उन्होंने कहा कि फिलहाल स्थिति उतनी बदतर नहीं है जितनी की पहले ‘लॉकडाउन' में देखी गई थी। उस समय बेरोजगारी दर 24 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।